These Stereotype Thinking Should Be Stopped In Indian Weddings: भारतीय समाज में शादियों को त्यौहार की तरह सेलिब्रेट किया जाता है। सदियों से ही हमारे समाज में शादी को जिंदगी का सबसे अहम पड़ाव माना जाता है। हर महिला चाहे वह अपने करियर और जिंदगी से संतुष्ट हो उसे तब तक सफल नहीं माना जाता जब तक उसकी शादी ना हो जाए। हमारे समाज में यह भी एक सोच है कि जब तक व्यक्ति शादी नहीं कर लेता और उसके बच्चे नहीं हो जाते तब तक वह सेट नहीं है।
महिलाओं के लिए तो शादी बहुत ही कंपलसरी मानी जाती है। हम सब शादियों में जाते हैं, तैयार होते हैं, खाना खाते हैं, लोगों से मिलते हैं और नाचते हैं लेकिन हमारी शादी की रस्मों में अभी भी स्टीरियोटाइप थिंकिंग मौजूद है जो कि बदलते समय के साथ जरूर बदलनी चाहिए। आज हम उनके बारे में ही बात करेंगे-
भारतीय शादियों में ये स्टीरियोटाइप चीजें होनी चाहिए खत्म
Marriage Folk/ Abusive culture
हमारे समाज में हर बात पर औरत को मज़ाक का पात्र बनाया जाता है। जब दो लोग आपस में एक दूसरे को हंसाने की कोशिश करते हैं तब वह औरतों के ऊपर जोक बनाना शुरू कर देते हैं। ऐसी थिंकिंग को बहुत नॉर्मलाइज किया जाता है। ऐसे ही हमारी शादियों के फाॅक सॉन्ग भी है जिसमें महिलाओं के ऊपर टिप्पणियां की जाती है। औरतों के लिए अपमानित शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है और लोग उसे पर नाचते हैं। अभी इसमें भी बदलाव जरूर होने चाहिए ताकि औरतों की प्रताड़ना को रोका जा सके।
Expense On Bride Side
आज भी भारतीय शादियों में जो खर्चा है वह लड़की के परिवार वाले ही करते हैं। चाहे वह शादी ऑर्गेनाइज्ड लेकर हो, दहेज के रूप में हूं या अन्य ख़र्चे। यह सब बंद होना चाहिए। यह स्टीरियोटाइप थिंकिंग लड़कियों की हत्या का कारण बन रही है। परिवार डरते हैं कि अगर लड़की होगी तो हमें उनकी शादियों में इतना खर्च करना पड़ेगा। इसमें लड़की वाले के मां-बाप को भी यह चाहिए कि दोनों परिवार खर्चा शेयर करें। यह बात रिश्ते के समय जरूर कर लेनी चाहिए।
Why Only Women Leaves Their House
सदियों से शादी के नाम पर लड़कियों को अपने पिता का घर छोड़कर लड़के के साथ भेज दिया जाता है। ऐसा सिर्फ लड़कियों के साथ ही होता है। यह भी हमारी सोच है क्योंकि लड़कियों को ही हमेशा बलिदान की मूरत के तौर पर देखा जाता। अब इस रस्म में भी बदलाव होना चाहिए या तो दोनों अपना एक अलग से घर होना चाहिए, लड़का और लड़की दोनों अपना घर छोड़े या फिर इस रस्म को उल्टा भी किया जा सकता है। लड़के भी अपना घर छोड़कर लड़की के घर में रहने के लिए आ सकते हैं।
Big Fat Weddings
हमारे समाज में किसी व्यक्ति की कितनी हैसियत है इसका अंदाजा शादी के खर्चे से लगाया जाता है जो की एक बहुत छोटी सोच का नतीजा है। कोई व्यक्ति शादी पर कितना खर्च कर रहा है उस हिसाब से समाज में उसकी इज्जत बनती है. जिस कारण लोग कर्ज के नीचे आ जाते हैं। यह सब बंद होना चाहिए। शादी खुशी का त्यौहार है, कोई रेस नहीं है।
Not Only Traditional Clothing
शादी हमेशा रियायती कपड़ों या एथेनिक वेयर में ही की जाती है। यह भी कोई रूल नहीं है। शादियों मे हम अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि शादी के दिन लाल रंग हीपहनना है। हम कोई भी रंग पहन सकते हैं जो हमें अच्छा लगता है क्योंकि शादी दो लोग करवा रहे हैं। इसमें किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए और यह कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए कि किसी ने शादी पर क्या रंग का और किस तरह कपड़ा पहना है।
Not Accepting Intimate Weedings
आजकल की जनरेशन का इंटिमेट वेडिंग की तरफ काफी रुझान बढ़ रहा है। हमें इस बात को समझने की जरूरत है कि जरूरी नहीं की हर व्यक्ति कोई बड़ी वेडिंग चाहता हूं। कुछ लोग सिर्फ अपने क्लोज फ्रेंड्स और रिलेटिव्स के साथ ही शादी का फंक्शन करना चाहते होते हैं। उसमें कोई बुराई नहीं है और किसी को इस विषय पर किसी को जज करने का भी कोई अधिकार नहीं है।