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1. बच्चों के साथ डेट पर जाएं
आप अपने पार्टनर के साथ रिश्तों में नयापन लाने के लिए या एंजॉयमेंट के लिए डेट पर जाती हैं तो ऐसा ही बच्चों के साथ क्यों नही। जी हां, आप अपने बच्चों के साथ डेट पर जाएं चाहें वो ब्रेकफास्ट डेट हो या डिनर डेट। इस तरह की एक्टिविटी आपको अपने बच्चों के मन की बात जानने में मदद करता है।
2. उनकी बातों को ध्यान से सुनें
हर कोई चाहता है कि कोई उनको, उनकी बातों को ध्यान से सुनें, समझें और जानें। बच्चें भी उनमे से एक हैं। वो भी चाहते है कि उनकी बातों को जो अक्सर बच्चों की बातें सोचकर अनसुना कर दिया जाता है उसे कोई सुनें। कभी-कभी जो बातें बड़ो के लिए छोटी-सी बात होती है बच्चों के लिए वो काफी बड़ी बात होती है। इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों को ऐसा फील कराएं कि उनकी बातों को सुना जा रहा है।
3. उनके साथ खेले-कूदें, मस्ती करें
ये तो जाहिर सी बात है कि बच्चें है तो उन्हें खेलना तो बिल्कुल पसंद होगा। बच्चों को खेल तब और ज्यादा पसंद आने लगता है जब उनके पेरेंट्स भी उऩके साथ खेलते हैं।
4. अपनी पर्सनल स्टोरीज़ शेयर करें
बच्चें अक्सर अपनी मम्मी-पापा की बचपन की कहांनियां सुनना पसंद करते हैं। अगर आप भी अपनी पर्सनल स्टोरीज़ बच्चों के साथ शेयर करेंगे तो आपका और उनका विश्वास और बढ़ेगा। साथ ही, आप अपनी कहांनियों के ज़रिए उन्हें अच्छी बातें बता सकते हैं, जो गलती आपने की उसे अपने बच्चों को करने से बचा सकते हैं।
5.चिल्लाना मना है
जी हां, ये बात आप खुद को समझा दिजिए कि बच्चों के साथ बात करते हुए चिल्लाना बिल्कुल मना है। कभी-कभी गुस्सा कंट्रोल नही हो पाता तो आप चिल्ला पड़ते हैं। लेकिन, अब चिल्लाने की जगह आप लंबी सांसे लिजिए।
6.फोन को खुद से भी छिपा के रख दिजिए
एक रूल बना लिजिए कि जब आप अपने बच्चों और परिवार के साथ हों तो फोन को हाथ तक नही लगाएंगे। अक्सर फोन हाथ में आते ही आप ना चाहते हुए भी बीज़़ी हो जाते हैं और जो समय आपको बच्चों के साथ बिताना चाहिए वो आप अपने मोबाईल में बिता देते हैं।
7. उनको अपने साथ मिलाकर काम कीजिये
अगर आप कोई काम कर रहे हैं तो उसमे अपने बच्चों की थोड़ी-थोड़ी मदद मांगते रहिए। इससे आपका काम भी थोड़ा बहुत आसान हो जाएगा और आपके बच्चों को हेल्प करने की ट्रेनिंग भी मिलती रहेगी।
8. एक टीम की तरह काम करें
जब कोई प्रॉब्लम आ जाए तो आप अपने बच्चों को साथ मिलाकर उसका सॉल्यूशन खोजिए। उनकी राय मांगिये। इससे उनको भी पता चलेगा कि किसी हार्ड सिचुएशन में खुद को कैसे संभालना है और कैसे सही फैसले लेना है।
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