शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को सुबह 03:41 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर 02:24 पर खत्म होगी। इस समय काल के दौरान कोई भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकता है। वहीं इस दिन शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय का समय शान 05:51 बजे बताया जा रहा है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है?
शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है
शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व हिन्दू धर्म में बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं। परंपरा के अनुसार कई लोग शरद पूर्णिमा में घर की छत पर खीर भी रखते हैं क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पूजा विशेष तरह से की जाती है और इसकी रोशनी में खीर रखने का खास महत्व होता है।
हमारे देश में हर त्योहार मनाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण होता है। शरद पूर्णिमा मनाने का भी एक बेहद खास कारण है। आपको बता दें कि इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। शरद पूर्णिमा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष के दिन हर वर्ष शरद पूर्णिमा के रूप में लोग मनाते हैं। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा की रात को घरों की छतों पर खीर रखते हैं।
क्यों शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं?
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, लोक्खी पूजा और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। बात करें अगर 'कोजागरी' शब्द 'जो जाग रहा है' होता है। इसके पीछे भी एक लोक कथा है।
एक हिंदू धर्म के राजा पर आर्थिक संकट आ जाता है जिसकी वजह से राजा की संपत्ति में कमी होने लगी थी। राजा की चिंता और परेशानी को देखकर रानी एक उपवास रखती हैं। जिसके बाद वह पूरी रात जग कर माता लक्ष्मी की पूजा करती हैं। फिर रानी की पूजा और उसके व्रत से माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हो जाती हैं और उसके पति यानी राजा को आशीर्वाद देती हैं तो कि उनके राज्य में कभी भी धन या समृद्धि की कमी नहीं होगी। इस वजह से भी कई लोग शरद पूर्णिमा की रात को जागरण भी करते हैं।
सागर मंथन के समय देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र से उत्पन्न हुई
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र से उत्पन्न हुई थी। कुछ लोगों का मानना है कि शायद इस वजह से भी इस पूजा का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें कि कई ऋषियों का यह भी मानना है कोजागरी पूर्णिमा की रात की चांद की चांदनी में अद्भुत उपचार करने वाली शक्तियां होती हैं और यह मन और आत्मा के लिए फायदेमंद होती है।