शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को सुबह 03:41 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर 02:24 पर खत्म होगी। इस समय काल के दौरान कोई भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर सकता है। वहीं इस दिन शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय का समय शान 05:51 बजे बताया जा रहा है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शरद पूर्णिमा की रात का क्या महत्व होता है और यह बेहद खास क्यों मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा 2022
शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग विधि विधान से पूजा कर भगवान का आर्शीवाद लेते हैं। लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए भी इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है।
हमारे देश में हर त्योहार मनाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण होता है। शरद पूर्णिमा मनाने का भी एक बेहद खास कारण है। आपको बता दें कि इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। शरद पूर्णिमा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष के दिन हर वर्ष शरद पूर्णिमा के रूप में लोग मनाते हैं। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा की रात को घरों की छतों पर खीर रखते हैं।
क्यों है शरद पूर्णिमा का खास महत्व?
असल में कहीं कहीं, शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को निकलने वाले चांद की किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं। इसलिए लोग इस दिन को अति शुभ मानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। इसलिए लोग इस दिन लक्ष्मी माता के भोग के लिए खीर भी बनाते हैं। साथ ही लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग विधि-विधान के साथ पूजा भी करते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन चांद की किरणों में खीर रखकर जरूर खाई जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर क्यों खायी जाती है? आखिर शरद पूर्णिमा पर खीर का क्या है महत्व? चलिए जानते हैं इसके पीछे की क्या वजह है।
शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से निकलने वाली किरणों को बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य से अमृतमीय किरणें निकलती हैं। ऐसे में इन किरणों के नीचे रखी खीर सेहत के लिए बहुत अच्छी होती है।
शरद पूर्णिमा की रात होती है खास
हिंदू ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण ने नौ लाख गोपिकाओं के साथ कई सारे रूपों में महारास रचाया था इसलिए इस रात का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा की रात पर महर्षी च्यवन को आरोग्य का पाठ और औषधि का ज्ञान अश्विनी कुमारों ने ही दिया था। इस कारण से अश्विनी कुमार आरोग्य के दाता हैं और पूर्ण चंद्रमा अमृत का स्रोत माना जाता है।