क्या आप डेडनेनिंग का मतलब जानते हैं? क्या आपने कभी है शब्द सुना है? अगर नहीं! तो आइए आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे।
क्या होती है डेडनेमिंग?
हम सभी को बचपन में एक पहचान दी जाती है, यह आमतौर पर हमारा नाम ही होता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपने बचपन या अपने पूर्व का नाम अब इस्तेमाल नहीं करता है और उन्होंने अपनी पहचान व अपने नाम को बदल लिया है, तो उनके पूर्व के नाम को डेड नेम कहा जाता है। किसी को उनके डेड नेम से बुलाना उन्हे असहज महसूस करवा सकता है और ऐसा करना गलत होता है। डेड नेम का उपयोग मुख्य रूप से ट्रांस, लिंग गैर-अनुरूपता और गैर-बाइनरी लोगों के संबंध में किया जाता है।
क्यों लोग बदलते हैं अपनी पहचान?
जैसा कि हमने आपको बताया कि डेड नेम का उपयोग मुख्य रूप से LGBTQIA+ कम्युनिटी के लिए किया जाता है। इस कम्युनिटी से बिलॉन्ग करने वाले इंसान अपने जीवन की यात्रा में एक ट्रांजिशन प्रक्रिया से गुजरते हैं। उनकी इस बदलाव की प्रक्रिया में बहुत से स्टेप्स मौजूद होते हैं। जब वह अपने आप को बेहतर तरीके से समझने लगते हैं और यह समझने लगते हैं कि जो पहचान उनको दूसरों से मिली है वह असल में ऐसे नहीं है, तब वह ट्रांजिशन दौर से गुजरते हैं और अपने आप को नई पहचान देते हैं।
एक नई पहचान देने की प्रक्रिया में वह खुद को एक नया नाम देते हैं और अपने पूर्व के नाम को निष्कासित करते हैं। नया नाम देने से वह दूसरों के द्वारा जो पहचान उन पर लेबल कर दी गई है उसको हटाते हैं। वह महसूस करते हैं कि जो नाम उनको दूसरों के द्वारा दिया गया है वह उनके लिंग का प्रतिनिधी नहीं करता है इसलिए वह खुद को एक नया नाम देते हैं।
नाम बदलने से क्या होता है?
हमारे समाज में आज भी LGBTQIA+ कम्युनिटी को सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता है और अक्सर हमने देखा है कि इस कम्युनिटी के इंसान ट्राॅमा का शिकार होते हैं। वह दूसरों के द्वारा दी गई पहचान से हमेशा परेशान रहते हैं लेकिन जब वह अपने आप को बेहतर तरीके से समझने लगते हैं तो खुद को एक नहीं पहचान देते हैं, एक नया नाम देते हैं। ऐसा करना एक सशक्त कार्य के रूप में देखा जाता है। एक नया नाम उनके लिए बहुत सारी खुशियां लेकर आता है। यह नया नाम उन्हें नई पहचान देता है और उनके लिंग का प्रतिनिधि करता हैं।
क्यों आपको किसीको उसके डेड नेम से नहीं बुलाना चाहिए?
किसी को उसके डेड नेम से बुलाना एक हिंसक कार्य के रूप में देखा जाता है। अगर आप किसी को उसके डेड नेम से बुलाते हैं तो यह उनको असहज महसूस करवा सकता है। वह अपने पूर्व के नाम से अब कोई संबंध नहीं रखते हैं और अपनी वह पहचान खो चुके हैं। अगर आप किसी को उनके डेड से बुलाते हैं तो उस नाम से जुड़ी सारी यादें उनको वापस याद आ सकती है जैसे कि नाम से जुड़ा कोई चाइल्डहुड ट्रॉमा, कोई भी हिंसक बात आदि।