Emotional Support: जब महिलाएं दिल की बातें करती हैं, तो मन हल्का हो जाता है

महिलाएं अक्सर बिना कुछ कहे, बिना किसी से बात शेयर की अपन कम करती रहती है। ऐसे में बस कोई चुपचाप हमारी बातें सुने, इमोशनल सपोर्ट एक महिला के लिए मायने रखता है।

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Tamnna Vats
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Emotional support

Emotional support Photograph: (Pinterest )

When women share matters of the heart with each other, the burden on the mind feels lighter: महिलाएं अक्सर बिना कुछ कहे, बिना किसी से बात शेयर की अपन कम करती रहती है, अपनी जिम्मेदारियां निभाती रहती है और फिर ऐसा वक्त आता है जब मन भारी हो जाता है, सोचें उलझ जाती हैं और दिल की बात कहने वाला कोई नहीं होता। ऐसे में बस कोई चुपचाप हमारी बातें सुने, हमें समझे और बिना जज किए अपनापन दे, तो दिल का बोझ हल्का हो जाता है। ऐसा इमोशनल सपोर्ट एक महिला के लिए मायने रखता है। 

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Emotional Support: जब महिलाएं आपस में दिल की बातें करती हैं, तो मन का बोझ हल्का हो जाता है

मन की बात साझा करने से मानसिक और भावनात्मक सपोर्ट मिलता है 

मन की बात साझा करना बेहद ही, सही तरीका है, एक शांत और सही जीवन को लीड करने का। लेकिन अक्सर महिलाएं अपने मन की बात मन में ही रहने देती है ये सोच कर कि कहीं उन्हें कोई जज न कर ले, या उनकी भावनाओं को समझ न पाए। लेकिन खुद ही खुद में चिंता करने और अपनी चिंता को बुझ बनने देने से अच्छा है, की महिलाएं अपनी बात को अपनी चिंता को अपने लोगों से शेयर करें। अपने परिवार और दोस्तों से बात करें। 

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Emotional Support मिलना बेहद जरूरी है 

ये अक्सर देखा जाता है कि जब कोई महिला अपनी बात किसी से साझा करती है और बदले में, जजमेंट या बातों से सपोर्ट और साथ पति है, तो उनके बीच एक भावनात्मक और सच्चा रिश्ता बन जाता है। ऐसे में महिलाएं खुद में आत्मविश्वास और कॉन्फिडेंस महसूस कर पाती है। सुनने वाला व्यक्ति जब जब महिला के बातों और भावना को समझ पाता है, तो उन्हें सपोर्ट मिलता है और ऐसे में कम अकेलापन महसूस होता है।

सामाजिक स्थिति का, मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है

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जब एक महिला ये निश्चय करती है, कि वे अपने मन की बात को मन तक नहीं रखेंगी, बल्कि लोगो से साझा करेगी और मन में चल रहे चिंता भंवर को शांत करने का प्रयास करेंगी, तो ऐसे में समाज को भी महिला को सपोर्ट करना चाहिए। क्योंकि अपने मन की बात साझा करने के लिए बेहद हिम्मत की जरूरी होती है और ऐसे यदि सामने से जजमेंट और नकारात्मक बातें सुनने को मिले तो मन पर गहरा असर होता है। इसीलिए ये जरूरी हो जाता है कि परिवार और समाज ऐसे समय में योगदान, दें कम से कम शांति से बात को सुनें। 

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