/hindi/media/media_files/tWFy9WoS7OOC26dT9OTf.png)
Bachendri Pal (Image Credit: APNLive)
Who is Bachendri Pal: भारतीय इतिहास की एक महिला, जिसने सपनों को परिपूर्ण किया और उन्हें हकीकत में बदला- वह हैं बछेंद्री पाल। उन्होंने माउंट एवरेस्ट को छूने का सपना देखा और उसे पूरा किया। बछेंद्री पाल ने 23 मई 1984 को माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी पर कदम रखा। बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को उत्तराखंड के चामोली जिले के नांगली गाँव में हुआ था। उनका परिवार गरीब था, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें शिक्षा का महत्व सिखाया। इस आर्टिकल में हम आपको बछेंद्री पाल के जीवन के बारे में बताएंगे।
बछेंद्री पाल कौन हैं?
बछेंद्री पाल भारत की एक पर्वतारोही हैं जो दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुकी हैं। वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्होंने 23 मई 1984 को 8-9 सदस्यों की टीम के साथ, अपने पहले ऐतिहासिक अभियान में दोपहर 1:07 बजे माउंट एवरेस्ट पर 43 मिनट बिताए। उसी प्रकार बाद में, 1993 में एक भारत-नेपाली महिला एवरेस्ट अभियान (INWEE) में महिला अभियान का नेतृत्व किया। भारत सरकार ने 2019 में बछेंद्री पाल को, देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार, “पद्म भूषण” से सम्मानित किया।
बछेंद्री पाल भारत के माउंट एवरेस्ट मिशन के चौथे अभियान दल की सदस्य थीं। उनके समूह ने मई 1984 में अपनी यात्रा शुरू की। अभियान के दौरान बछेंद्री पाल और उनकी टीम को खराब मौसम, बीमारी और तकनीकी कठनाइयों जैसी कई असफलतों का समाना करना पड़ा था। ल्होत्से गैल्सियर पर एक अनप्रेडिक्टेबल हिमस्खलन ने टीम के सदस्यों को घायल कर दिया। उनकी टीम के आधे से अधिक सदस्यों को चोटें आईं और वे मिशन से वापस लौट गए। लेकिन, बछेंद्री और बाकी सदस्यों ने अपना अभियान जारी रखा।
22 मई, 1984 को आंग दोरजी (शेरपा सरदार) और कुछ अन्य पर्वतारोही इस अभियान में शामिल हुए। इस समूह में बछेंद्री अकेली महिला थीं। आख़िरकार 23 मई 1984 को बछेंद्री पाल और उनकी टीम माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची। वह यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने अपने 30वें जन्मदिन से एक दिन पहले ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। बछेंद्री पाल की माउंट एवरेस्ट की सफल चढ़ाई ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। उन्होंने कई युवाओं, विशेषकर लड़कियों को पर्वतारोहण को एक खेल के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया।