/hindi/media/media_files/3vMpC7sR5IvF26WJ5WXN.png)
Photograph: (File Image)
आज की नारी घर भी संभालती हैं और दफ्तर भी, यह कब जिम्मेदारी से Double burden में तबदील हो जाता हैं पता ही नहीं चलता। अक्सर घर का काम कार्य की श्रेणी में रखा ही नहीं जाता और न ही उन्हें सम्मान और आर्थिक मदद देता हैं जिसके लिए उन्हें ऑफिस या किसी कार्यस्थल पर अपनी दोहरी भूमिका निभानी होती हैं जो उन्हें वह तो देता है जो वह चाहती हैं पर साथ ही दोहरे कार्य का वजन और थकावट भी देता हैं। आज की महिला के लिए यह दोहरी भूमिका कैसे थकावट को ही उनकी पहचान से जोड़ रही हैं, चलिए जानते हैं:
Emotional Exhaustion: जानिए क्यों थकावट बन गई है महिलाओं की पहचान?
1.दोहरे श्रम का अदृश्य बोझ
कामकाजी महिलाएं अक्सर ऑफिस में ऑफिस की जिम्मेदारी और घर पर घर की जिम्मेदारी निभाते दिख जाती हैं। लेकिन "घर का काम" काम नहीं माना जाता हैं। उसे अदृश्य काम और महिला होने के नाते उनके प्रमुख कर्तव्य से जोड़ दिया जाता हैं, वो ना तो उन्हें सम्मान का हकदार बनाता हैं और न ही आर्थिक और भावनात्मक मदद के रूप मे देखता हैं। यहाँ महिलाओं को थकाने और खुद को कमतर समझकर पहचान का ही हिस्सा समझने पर मजबूर कर देता हैं।
2.थकावट को 'नॉर्मल' मान लेना
समाज ने महिलाओं की थकावट को उनकी "कर्तव्यपरायणता" से जोड़ दिया है, अगर महिला थकी नहीं तो वो ideal महिला है ही नहीं- यह सोच भी उन्हें क्षमता से अधिक कार्य करने और थकावट को सामान्य मान लेने पर मजबूर कर देती हैं।
3.भावनात्मक श्रम की अनदेखी
महिलाएं सिर्फ काम नहीं करतीं- वे रिश्तों को संभालती हैं, बच्चों की चिंता और परिवार के बड़े सदस्यों का ख्याल भी रखती हैं जो जिम्मेदारी के साथ emotional exhaustion भी जो उन्हें मानसिक रूप से भी थका देता हैं, लेकिन इसकी कोई गिनती नहीं होती हैं।
4. 'superwomen' का मिथक
सब कुछ संभालने वाली महिला अगर आराम करें तो उसे अपराधबोध की श्रेणी में डाल दिया जाता हैं, उनका थकना उनकी superwomen के रोल में बाधा नहीं बन सकता हैं। अक्सर महिलाओं के multitask को उन्हें superwomen के टैग से नबाजा जाता हैं, जो सुनने में तो अच्छा लगता हैं पर एक अनकहा बोझ भी उनके ऊपर डाल देता हैं, जो हर बार उपलब्ध होने को कहता हैं।
5.फेमिनिज्म का जबाब: थकावट नहीं, विकल्प चाहिए
फेमिनिज़्म की परिभाषा महिलाओं को हर समय तैयार रहने और थकावट न व्यक्त कहने को कहती हैं, उन्हें सहयोग, विकल्प और सम्मान चाहिए इस बात को समाज न देखता है, न स्वीकार करता हैं। बदलाव आवश्यक हैं, ऑफिस में लचीलापन हो, और थकावट को कमजोरी नहीं, संकेत माना जाए कि बदलाव आवश्यक हैं।