आज की नारी घर भी संभालती हैं और दफ्तर भी, यह कब जिम्मेदारी से दोहरे दबाब में तबदील हो जाता हैं पता ही नहीं चलता। अक्सर घर का काम कार्य की श्रेणी में रखा ही नहीं जाता हैं। यह दोहरी भूमिका उनकी पहचान से जोड़ रही हैं, चलिए जानते हैं:
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