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हमारे देश में अगर एक लड़की इस सोसाइटी के स्टैण्डर्ड एज तक शादी नहीं कर लेती तो फिर सोसाइटी की नज़रों में उसका अब कोई भविष्य नहीं है। वहीं अगर एक लड़की शादी के बाद मदरहुड को एक्सपीरियंस करने के लिए तैयार नहीं है तो फिर सोसाइटी के हिसाब से वो बड़ा अन्याय कर रही है। पता नहीं क्यों आज भी सोसाइटी को ये समझ में नहीं आता है की माँ बनना सबके जीवन का परम लक्ष्य नहीं होता है। जानिए क्यों होनी चाहिए मदरहुड एक चॉइस:
पेरेंटिंग एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है जो सबके बस की बात नहीं है। एक बच्चे को इस दुनिया में लाना ही काफी नहीं होता बल्कि उसकी सही परवरिश और एक प्रोटेक्टेड एनवायरनमेंट देना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। अगर कोई महिला दबाब में माँ बनती है तो उसे पेरेंटिंग में प्रॉब्लम आएगी ही जो ना सिर्फ उसके साथ गलत है बल्कि उसके नवजात बच्चे के साथ भी। इसलिए माँ तभी बनाना चाहिए जब आप पेरेंटिंग के लिए तैयार हों।
सोसाइटी के नॉर्म्स ही ऐसे हैं की एक महिला से ये उम्मीद की जाती है की वो शादी के बाद अपने सारे सपनों को ख़त्म करके एक अच्छी पत्नी और अच्छी माँ बन कर रहे। इन सब के बीच मर्दों से पेरेंटिंग में ज़्यादा कुछ ये सोसाइटी एक्सपेक्ट नहीं करती है और उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने की सारी आज़ादी है। जब बच्चा दोनों का है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी दोनों को साथ में शेयर करनी चाहिए। लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है। इसलिए मदरहुड बहुतों के लिए ओवरव्हेल्मिंग एक्सपीरियंस हो सकता है।
इसमें कोई दो राय नहीं है की एक बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला का करियर एफेक्ट होता है। उसके रूटीन से लेकर जॉब एक्सपेक्टेशंस तक में बहुत सारे बदलाव आ जाते हैं। माँ बनने के बाद उसे अपने समकक्ष पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले बहुत सारी चीज़ों को संभालना पड़ता है जिस कारण वो रेस में कई बार पीछे रह जाती है। जब एक लड़की अपना सब कुछ लगा कर एक करियर बनती है तो उसे पल भर में सिर्फ मदरहुड के लिए स्टैंड में रखना सबके बस की बात नहीं है। ये हर किसी की अपनी चॉइस होनी चाहिए।
हमारे देश में जब एक लड़की की शादी होती है उसके अगले दिन से ही सब उससे फैमिली प्लान करने के लिए कहने लगते हैं। अगर शादी के एक साल के बाद भी एक लड़की माँ नहीं बनी है तो ये सोसाइटी उससे इस बारे में सवाल पूछना बंद ही नहीं करती है। सबके पर्सनल इश्यूज में सोसाइटी इतनी ज़्यादा घुस जाती है की इससे तंग आ कर भी कई महिलाएं मदरहुड के लिए तैयार नहीं होती हैं।
आज कल जिस तरह टेक्नोलॉजी की यूज़ में वृद्धि हो रही है जिस कारण हम कई हार्मफुल रेडिएशन्स से एक्सपोज़ हो रहे हैं और जिस तरह पॉल्यूशन और एनवायरनमेंट में अनसेफ्टी बढ़ती जा रही है कई कपल्स खुद ये डीडे करते हैं की उन्हें बच्चे नहीं चाहिए। ये बहुत नॉर्मल है और इसके लिए उन्हें आपको या फिर सोसाइटी में किसी और को कोई भी एक्सप्लनेशन देने की ज़रूरत नहीं है।
1. पेरेंटिंग नहीं होता है सबके लिए
पेरेंटिंग एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है जो सबके बस की बात नहीं है। एक बच्चे को इस दुनिया में लाना ही काफी नहीं होता बल्कि उसकी सही परवरिश और एक प्रोटेक्टेड एनवायरनमेंट देना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। अगर कोई महिला दबाब में माँ बनती है तो उसे पेरेंटिंग में प्रॉब्लम आएगी ही जो ना सिर्फ उसके साथ गलत है बल्कि उसके नवजात बच्चे के साथ भी। इसलिए माँ तभी बनाना चाहिए जब आप पेरेंटिंग के लिए तैयार हों।
2. सोसाइटी की इनक्वॉलिटी
सोसाइटी के नॉर्म्स ही ऐसे हैं की एक महिला से ये उम्मीद की जाती है की वो शादी के बाद अपने सारे सपनों को ख़त्म करके एक अच्छी पत्नी और अच्छी माँ बन कर रहे। इन सब के बीच मर्दों से पेरेंटिंग में ज़्यादा कुछ ये सोसाइटी एक्सपेक्ट नहीं करती है और उन्हें अपने करियर में आगे बढ़ने की सारी आज़ादी है। जब बच्चा दोनों का है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी दोनों को साथ में शेयर करनी चाहिए। लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है। इसलिए मदरहुड बहुतों के लिए ओवरव्हेल्मिंग एक्सपीरियंस हो सकता है।
3. करियर भी है ज़रूरी
इसमें कोई दो राय नहीं है की एक बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला का करियर एफेक्ट होता है। उसके रूटीन से लेकर जॉब एक्सपेक्टेशंस तक में बहुत सारे बदलाव आ जाते हैं। माँ बनने के बाद उसे अपने समकक्ष पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले बहुत सारी चीज़ों को संभालना पड़ता है जिस कारण वो रेस में कई बार पीछे रह जाती है। जब एक लड़की अपना सब कुछ लगा कर एक करियर बनती है तो उसे पल भर में सिर्फ मदरहुड के लिए स्टैंड में रखना सबके बस की बात नहीं है। ये हर किसी की अपनी चॉइस होनी चाहिए।
4. सोसाइटल प्रेशर
हमारे देश में जब एक लड़की की शादी होती है उसके अगले दिन से ही सब उससे फैमिली प्लान करने के लिए कहने लगते हैं। अगर शादी के एक साल के बाद भी एक लड़की माँ नहीं बनी है तो ये सोसाइटी उससे इस बारे में सवाल पूछना बंद ही नहीं करती है। सबके पर्सनल इश्यूज में सोसाइटी इतनी ज़्यादा घुस जाती है की इससे तंग आ कर भी कई महिलाएं मदरहुड के लिए तैयार नहीं होती हैं।
5. अनसेफ एनवायरनमेंट
आज कल जिस तरह टेक्नोलॉजी की यूज़ में वृद्धि हो रही है जिस कारण हम कई हार्मफुल रेडिएशन्स से एक्सपोज़ हो रहे हैं और जिस तरह पॉल्यूशन और एनवायरनमेंट में अनसेफ्टी बढ़ती जा रही है कई कपल्स खुद ये डीडे करते हैं की उन्हें बच्चे नहीं चाहिए। ये बहुत नॉर्मल है और इसके लिए उन्हें आपको या फिर सोसाइटी में किसी और को कोई भी एक्सप्लनेशन देने की ज़रूरत नहीं है।