Why Radha Krishna Did Not Marry Each Other : देश सबसे दयालु हिंदू भगवान के जन्म का जश्न मना रहा है जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे और वह कोई और नहीं बल्कि भगवान कृष्ण हैं। कन्हैया, केशव, माखन चोर, वासु, गोपाल, नंदलाला और कई अन्य नामों से जाने जाने वाले, वह हमारे इतिहास में सबसे शरारती देवताओं में से एक हैं।
आज के दिन सब लोग कृष्ण जी की पूजा करते हैं तो मंदिर में एक चीज और नोटिसेबल है वह कृष्ण जी के साथ राधा जी। आप में से अधिकतर लोगों ने देखा होगा जो कृष्ण जी की मूर्तियां तस्वीर है उनमें रुकमणी जी नहीं राधा जी कृष्ण जी के साथ होती हैं, और शायद आप सभी ने सुना होगा कि राधा और कृष्ण एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
प्रश्न जो आपके मन में भी होंगे
क्या कृष्ण ने राधा से शादी की थी? ये तो सभी जानते हैं- नहीं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की, जबकि ये दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं? कृष्ण ने रुक्मिणी से शादी क्यों की, राधा से क्यों नहीं?, और राधा का विवाह किससे हुआ था? और भी बहुत से प्रश्न होंगे आप लोगों के मन में तो आइए आज के इस ब्लॉग में इन प्रश्नों के उत्तर को जानते हैं।
राधे कृष्णा
भले ही उन्होंने कभी शादी नहीं की, आप मंदिरों और घरों में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियाँ एक साथ देखेंगे। कई जोड़े भगवान कृष्ण और राधा के बीच प्रेमपूर्ण संबंधों से प्रेरित हैं।
आखिर क्यों नहीं हुई राधा कृष्ण की शादी
लगभग यह सवाल हर किसी के मन में है कि आखिर क्यों राधा कृष्ण की शादी नहीं हुई। इस सवाल के कई जवाब है और आज तक यह समझ नहीं आया है कि कौन सा जवाब सही है तो आइए आज के लोग में देखते हैं आखिर क्यों नहीं हुई राधा कृष्ण की शादी।
माना जाता है कि राधा कृष्ण की शक्ति, उनकी मित्र, उनकी सलाहकार, विश्वासपात्र और मार्गदर्शक रही हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि वह कृष्ण के जीवन में एक काल्पनिक चरित्र थी।
एक लोकप्रिय लोककथा के अनुसार राधा ने एक बार कृष्ण से पूछा था कि दोनों ने शादी क्यों नहीं की। तब कृष्णा ने उसके मासूम सवाल का जवाब देते हुए कहा, "शादी दो लोगों के बीच होती है। आप और मैं एक हैं। हम कैसे शादी कर सकते हैं?"
यहां प्रेम और विवाह में अंतर सिद्ध होता है। प्रेम को सामाजिक मानदंडों, जाति, पंथ या रंग की बाधाओं से नहीं बांधा जा सकता है, जबकि विवाह एक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें दो व्यक्तियों को पति और पत्नी कहा जाता है।
कृष्ण राधा इंसिप्रेबल हैं। दोनों निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक हैं जो वासना से रहित है। और इसलिए, दोनों भविष्य में कई सदियों में कई पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।