International Tea Day: क्या सच में भारतीय लोगों के लिए चाय सिर्फ एक पेय नहीं ब्लकि सुकून और भावना है?

लगभग हर भारतीय की सुबह चाय के कप से शुरू होती है। हर गृहिणी अपने दिन की शुरुआत चाय बनाने से करती है। भारतीय घरों में चाय किसी पारिवारिक सदस्य की तरह है। यह टूटे रिश्तों को जोड़ सकती है, मन का बोझ हल्का कर सकती है,

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Rajveer Kaur
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Tea love

Photograph: (Danish Saud/Pinterest)

Why Tea is More Than Just a Beverage in Indian Homes? लगभग हर भारतीय की सुबह चाय के कप से शुरू होती है। हर गृहिणी अपने दिन की शुरुआत चाय बनाने से करती है। भारतीय घरों में चाय किसी पारिवारिक सदस्य की तरह है। यह टूटे रिश्तों को जोड़ सकती है, मन का बोझ हल्का कर सकती है और आपकी शाम को हसीन बना सकती है। इसमें वह ताकत है जो आपको ठीक कर सकती है या बेहतर महसूस करा सकती है। हालाँकि चाय के फायदे और नुकसान पर बहस होती रहती है, लेकिन रूपक (Metaphorically) तौर पर देखें तो चाय सुकून का दूसरा नाम है। आइए, इस अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर जानें कि चाय भारतीय घरों में सिर्फ़ एक पेय नहीं, बल्कि उससे कहीं ज़्यादा है।

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International Tea Day: क्या सच में भारतीय लोगों के लिए चाय सिर्फ एक पेय नहीं ब्लकि सुकून और भावना है?

बचपन में मन में यह सवाल उठता था कि बड़े लोग चाय से इतना लगाव क्यों महसूस करते हैं? दिनभर की थकान के बाद उन्हें एक कप चाय की ज़रूरत क्यों पड़ती है और यह उन्हें सुकून कैसे देती है? लेकिन जब खुद बड़े हुए, तो समझ आया कि चाय में वह सुकून है, जो इंसान इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ढूँढता है। 

क्या चाय एक बहाना है?

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चाय पीने के बहाने व्यक्ति उन दो पलों को अपने साथ बिता लेता है, जो दिनभर की आपाधापी में शायद उसे मिल ही नहीं पाते। जब हम किसी के साथ चाय पर बैठते हैं, तो दिल की वे बातें भी खुलकर सामने आ जाती हैं, जो लंबे समय से मन में दबी होती हैं। चाय के साथ पुरानी अनबन भी खत्म हो सकती है, जो शायद हम सालों से ढो रहे होते हैं। चाहे कितनी भी बड़ी परेशानी हो, जो आपकी नींद हराम कर रही हो, चाय उसे हल्का करने में मदद कर सकती है। 

इसीलिए भारतीय घरों में चाय एक थेरेपी की तरह है, जिसे आप अपनी ज़िंदगी से निकाल नहीं सकते। यह एक ऐसी आदत है, जिसे छोड़ना चाहकर भी शायद छूट नहीं पाती।

चाय हेल्दी है या नहीं?

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चाय हेल्दी है या नहीं, इस पर खूब बहस होती है, लेकिन चाय के शौकीनों के लिए ये बातें मायने नहीं रखतीं। हालाँकि, कहा जाता है कि सुबह खाली पेट चाय नहीं पीनी चाहिए और कैलोरी के हिसाब से इसका सेवन करना चाहिए, ताकि यह नुकसान न करे। लेकिन जब चाय आपके मन का सुकून बन जाती है, तो आप एक आशिक की तरह होते हैं, जो अपनी महबूबा की हर कमी को भूल जाता है और उसे सिर्फ़ वही नज़र आता है। भारतीयों का चाय के साथ रिश्ता भी कुछ ऐसा ही है। जो लोग चाय नहीं पीते, उनके लिए यह शायद बस एक पेय है, लेकिन जो इसमें सुकून तलाशते हैं, उनके लिए यह एक भावना है, उनके दिल की धड़कन  है। इस अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर  उन लम्हों को याद करें, जो चाय के कप के साथ जुड़ जाते हैं। वह पल जो दिनभर के तनाव को मिटा देते हैं और नई ऊर्जा देते हैं, ताकि हम ज़िंदगी की भागदौड़ का सामना फिर से कर सकें, बिना हताश हुए।

International Tea Day