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Pride Month: क्यों LGBTQ+ समाज के लिए संवेदनशीलता और प्यार की जरूरत है?

जून महीने को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने में रैली, इवेंट्स और प्रोटेस्ट किए जाते हैं ताकि समाज में इन्हें बराबरी का दर्जा मिल सके। इस महीने का मुख्य उद्देश्य एलजीबीटी के लिए ऐसा माहौल पैदा करना है जिसमें उन्हें प्यार और सपोर्ट किया जाए।

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Rajveer Kaur
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LGBTQ (Pinterest)

(Image Credit: Pinterest)

Why We Need More Love For LGBTQ+ Community: जून महीने को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है। इस महीने में रैली, इवेंट्स और प्रोटेस्ट किए जाते हैं ताकि समाज में इन्हें बराबरी का दर्जा मिल सके। इस महीने का मुख्य उद्देश्य LGBTQ+ के लिए ऐसा माहौल पैदा करना है जिसमें उन्हें प्यार और सपोर्ट किया जाए। इसके साथ ही उन्हें वैसे ही स्वीकार किया जाए जैसे वो हैं। उनके मन में ऐसा डर नहीं होना चाहिए कि अगर हम खुद को वैसे ही स्वीकार करेंगे, जैसे हम हैं तो हमें इसके लिए दंड दिया जाएगा या फिर इसे गैरकानूनी माना जाएगा क्योंकि बहुत सारे देशों में आज भी एलजीबीटी समुदाय से होना लीगल नहीं है। आईए जानते हैं कि हमें उनके लिए सुरक्षित और प्यार से भरपूर माहौल पैदा करने की जरूरत क्यों है?

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क्यों LGBTQ+ समाज के लिए संवेदनशीलता और प्यार की जरूरत है?

बराबरी का दर्जा मिल सके

हमारे समाज में आज भी LGBTQ+ के लोगों को बराबरी का दर्जा नहीं मिलता है। हमारा रवैया उनके प्रति आम लोगों जैसा नहीं होता है। भारत की बात की जाए तो आज भी बहुत सारी जगह पर LGBTQ+ लोगों के साथ बदसलूकी की जाती है। हमें इस बात को समझना होगा कि एलजीबीटी लोग भी बाकी लोगों जैसे ही हैं और उन्हें भी वैसे ही अधिकार चाहिए। अगर कोई हमसे अलग है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे अपने तरीके से जिंदगी जीने का अधिकार नहीं है।

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उनके साथ बुरा व्यव्हार बंद हो 

हमारे देश में LGBTQ+ लोगों के साथ बहुत बुरा व्यवहार होता है। अगर किसी भारतीय परिवार में कोई बच्चा LGBTQ+  समुदाय से सम्बन्ध रखता है तो मां-बाप उसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। हमारा सामाज ही ऐसा है। कई बार तो बच्चे की मारपीट करते हैं कि शायद इसमें सुधार आ जाएगा। इसका एक बहुत बड़ा कारण इसके बारे में  सही जानकारी की कमी है।  इसके साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर भी उन्हें बुली किया जाता है, मारपीट होती है और अन्य तरीकों से भी फिजिकल एब्यूज होता है जिससे उनकी मेंटल हेल्थ इफेक्ट होती है। इसके साथ ही एलजीबीटी लोगों में सुसाइड भी एक बहुत बड़ा इशू है।

उन्हें समाज में स्वीकार किया जाए

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LGBTQ+ समाज के साथ सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि उन्हें वैसे ही स्वीकार नहीं किया जाता है या उन्हें वैसे ही प्यार नहीं किया जाता है जैसे वो हैं। हम हमेशा उन्हें बदलने के लिए कहते हैं। हमें LGBTQ+ स्पेक्ट्रम के बारे में जानकारी लेने की जरूरत है तब ही हम उन्हें अच्छी तरीके से समझ पाएंगे और उनके बारे में सही जानकारी ग्रहण कर पाएंगे। हम यह बताने वाले कोई नहीं है कि उनकी आइडेंटिटी क्या होनी चाहिए। इसके साथ ही हमें उन्हें आईडेंटिफाई या फिर लेबल करने से भी बचना चाहिए।

स्टीरियोटाइप सोच खत्म हो

LGBTQ+ से संबंधित बहुत सारी अवधारणाएं और स्टीरियोटाइप थिंकिंग आज भी मौजूद है जिसके कारण इन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इसके कारण समाज में इन्हें वैलिडेशन भी नहीं मिलती है। अगर हम इस सोच को खत्म करना चाहते हैं तो हमें खुद को और अपने आसपास के लोगों को इसके बारे में सही जानकारी देनी होगी। उन्हें यह बताना होगा कि LGBTQ+ का असली मतलब क्या है और यह एक जर्नी है जिसमें आप खुद को एक्सप्लोर करते हैं। ऐसी सोच को चैलेंज करना बहुत जरूरी है ताकि हम इन लोगों के लिए सुरक्षित माहौल और पैदा कर सके।

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डाइवर्सिटी और इंडिविजुअलटी को सेलिब्रेट किया जाएं 

हम अपने आसपास जब कोई भी चीज देखते हैं तो हम आसानी से उसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। हमें पहले अपना माइंडसेट वैसा करना होगा कि हम अपने समाज में डाइवर्सिटी को सेट करें। अगर कोई हमारे जैसा नहीं है या वह हमसे अलग महसूस करता है तो हम उसे गलत नहीं कह सकते हैं। इसके साथ ही हमें हर व्यक्ति की इंडिविजुअलटी की रेस्पेक्ट करनी चाहिए। वह अपनी लाइफ में जो भी वह है और जो भी उसकी चॉइस है उसके लिए हम उसे कभी भी जज नहीं कर सकते हैं। हमें हर जगह ऐसा माहौल पैदा करना होगा जहां पर हम बराबरी की बात करें।

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