Women Are Taking Financial Decisions Independently Says This Report: फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस एक ऐसी चीज है जो महिलाओं को सशक्त कर सकती है। अगर महिला के पास आर्थिक आजादी है तब वह खुद के फैसले अपनी मर्जी से ले सकती है। उसे किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। वह अपनी इच्छाओं और जरूरत का ख्याल खुद रख रखने में सक्षम हो जाती है। हर समय महिलाओं की फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस पर जोर दिया जाता है। इससे रिलेटेड अब एक स्टडी सामने आई है चलिए उसके बारे में जानते हैं-
अब शहरी महिलाएं आर्थिक फैसले लेने में हो रहीं सशक्त, देखें यह रिपोर्ट
15 जनवरी, 2024 को, डीबीएस बैंक इंडिया ने क्रिसिल के सहयोग से रिपोर्ट जारी की है जिसमें लॉन्ग टर्म पारिवारिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में भारत में 98 प्रतिशत एंप्लॉय और सेल्फ एंप्लॉयड महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी को रेखांकित किया है। रिपोर्ट में 10 अलग-अलग शहरों की 800 महिलाओं को लिया गया है जिनमें व्यवहार की एक विस्तृत श्रृंखला पर, जिसमें वित्तीय निर्णय लेने में उनकी भागीदारी, गोल सेटिंग, बचत और निवेश पैटर्न, डिजिटल टूल को अपनाने के साथ-साथ विभिन्न बैंकिंग प्रोडक्ट के लिए उनकी प्राथमिकताएं शामिल हैं। रिपोर्ट को 'वूमेन और फाइनेंस' का नाम दिया गया है।
रिपोर्ट की कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं
अब महिलाएं मूकदर्शक नहीं बल्कि नेतृत्वकर्ता हैं- चाहे अपने बच्चों के लिए शिक्षा की तैयारी करना हो या कई प्रतिस्पर्धी वित्तीय लक्ष्यों को संतुलित करना हो।
फाइनेंशियल डिसीजन- फाइंडिंग्स के अनुसार, 47% महिलाएं स्वतंत्र वित्तीय निर्णय लेती हैं, जो महिलाओं की बढ़ती फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस को रेखांकित करता है।
इन निर्णयों को आकार देने में उम्र और फाइनेंशियल स्टेटस का महत्वपूर्ण रोल है। 45 से अधिक उम्र की महिलाएं, अपने समृद्ध अनुभव के साथ, लीडर बनकर उभरती हैं, 25-35 आयु वर्ग की 41% महिलाओं की तुलना में 65% स्वतंत्र वित्तीय विकल्प चुनती हैं।
उम्र- भारत में, लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल प्रायोरिटी महिलाओं की उम्र का बहुत बड़ा रोल है। 25-35 वर्ष के बीच के महिलाओं के लिए घर खरीदना/अपग्रेड करना पहली प्राथमिकता है, जबकि 35-45 वर्ष की श्रेणी की महिलाओं के लिए बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट और 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए हेल्थ शामिल है।
रिस्क से बचती हैं- मेट्रोपॉलिटन में कमाई करने वाली महिलाएँ रिस्क लेने से बचती हैं जिस कारण 51% इन्वेस्टमेंट (एफडी) और सेविंग अकाउंट में होता है। इसके बाद 16% सोने में, 15% म्यूचुअल फंड में, 10% रियल एस्टेट में और केवल 7% स्टॉक्स में इन्वेस्ट करती हैं। सर्वे में शामिल आधी सैलरी लेने वाली महिलाओं ने कभी लोन नहीं लिया।
डिपेंडेंट- डिपेंडेंट (माता-पिता, बच्चे, जीवनसाथी, आदि) भी महिलाओं के वित्तीय निर्णय पर प्रभाव डालते हैं। रूढ़िवादी सोच के कारण 43% विवाहित महिलाएं से अपनी आय का 10-29% निवेश के लिए आवंटित करती हैं, जबकि इसके विपरीत, बिना डिपेंडेंट वाली एक चौथाई विवाहित महिलाएं अपनी आय का आधे से अधिक निवेश करना चुनती हैं।
रीजनल फैक्टर- यह भी प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, हैदराबाद और मुंबई क्रेडिट कार्ड के उपयोग में सबसे आगे हैं, मुंबई में 96% महिलाएं क्रेडिट कार्ड पर निर्भर हैं, जबकि कोलकाता में केवल 63% महिलाएं इसका उपयोग करती हैं।
पेमेंट मेथड- 25-35 आयु वर्ग की 33% महिलाएं ऑनलाइन शॉपिंग के लिए UPI का उपयोग करना पसंद करते हैं, जबकि 45 वर्ष से ऊपर के केवल 22% महिलाएं ही UPI का उपयोग करती हैं।
UPI पहली पसंद- रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न प्रकार की भुगतान आवश्यकताओं के लिए यूपीआई शहरी महिलाओं के लिए पसंदीदा विकल्प है: मनी ट्रांसफर (38%), यूटिलिटी बिल (34%) और ई-कॉमर्स खरीदारी (29%), जो कैश पर निर्भरता की कमी दिखाता है।