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बल्कि महिलाओं को भी एक्स्ट्रा वर्क करना पड़ रहा है। वर्किंग वूमन के लिए और भी ज्यादा परेशानी इसलिए है क्योंकि उनके ऑफिस ही नहीं बल्कि घर के कामों के घंटे भी बढ़ गए हैं।
LinkedIn Workforce Confidence Index के 10 वें संस्करण के अनुसार, लगभग 47 प्रतिशत भारतीय महिलाएं COVID-19 महामारी के कारण अधिक तनाव या चिंता महसूस कर रही हैं। पुरुषों के लिए, यह संख्या 38 प्रतिशत थी, इन आंकड़ो से हमे साफ़ - साफ़ पता लगता है कि ये महामारी महिलाओ को अधिक प्रभावित कर रही है।
सर्वे में कहा गया है कि रिमोट वर्किंग ने भारत की वर्किंग मदर्स की लाइफ और मुश्किल कर दी है , क्योंकि सर्वे से पता चलता है कि वर्तमान में लगभग तीन में से एक (31 प्रतिशत) कामकाजी माताएँ अपने बच्चो की देखभाल में लगी रहती है। जबकि काम करने वाले पिता में पाँच में से लगभग एक (17 प्रतिशत)।
महिलाओ को ऑफिस के 9 घंटे पूरे करने की चिंता सताती रहती है वहीं दूसरी ओर रात के खाने में क्या बनाना है ? घर में कोई सब्जी है या नहीं? ऐसी तमाम बातें भी उनके दिमाग में चलती रहती हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि ज्यादातर इंडियन फैमिली में पुरुष घरेलू कामों में हाथ नहीं बटाते , जिस वजह से महिलाओं को ही घर के सारे काम करने पड़ते है।
दिनभर ऑफिस और घर के काम करने की वजह से महिलाए खुद के लिए टाइम नहीं निकाल पाती। कई महिलाओं को खुद की स्किन और डायट केयर तो दूर बल्कि सोने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा। हफ्ते में एक दिन ऑफिस से मिलने वाली छुट्टी पर भी ज्यादातर महिलाएं अपने घर के काम कर के बिता देती है।
अगर घर में बच्चा छोटा है तो मां को अपना घर का काम भी खत्म करना है, ऑफिस का काम भी पूरा करना है और फिर बच्चे को भी संभालना है। अगर बच्चा नहीं है और परिवार में ऐसे मेल मेंबर्स हैं जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तब भी महिला पर सबके लिए नाश्ते से लेकर खाना बनाने का बोझ आ जाता है। हर रोज़ इतना सारा काम महिलाओ की मेन्टल और फिजिकल हेल्थ को इफ़ेक्ट कर रहा है।
कोरोना के कारण सबकी ज़िन्दगी में बदलाव आया है , महिलाओ की ज़िन्दगी में तो खासतौर पर नयी चुनौतियां आयी है। घर , बच्चे और काम को एक साथ संभालना आसान नहीं है। लेकिन महिलाएं अब भी अपनी ज़िम्मेदारिया निभा रही है और सबका ख्याल रख रही है।
LinkedIn Workforce Confidence Index के 10 वें संस्करण के अनुसार, लगभग 47 प्रतिशत भारतीय महिलाएं COVID-19 महामारी के कारण अधिक तनाव या चिंता महसूस कर रही हैं। पुरुषों के लिए, यह संख्या 38 प्रतिशत थी, इन आंकड़ो से हमे साफ़ - साफ़ पता लगता है कि ये महामारी महिलाओ को अधिक प्रभावित कर रही है।
सर्वे में कहा गया है कि रिमोट वर्किंग ने भारत की वर्किंग मदर्स की लाइफ और मुश्किल कर दी है , क्योंकि सर्वे से पता चलता है कि वर्तमान में लगभग तीन में से एक (31 प्रतिशत) कामकाजी माताएँ अपने बच्चो की देखभाल में लगी रहती है। जबकि काम करने वाले पिता में पाँच में से लगभग एक (17 प्रतिशत)।
घर के कामों में पुरुषों की भागीदारी नहीं
महिलाओ को ऑफिस के 9 घंटे पूरे करने की चिंता सताती रहती है वहीं दूसरी ओर रात के खाने में क्या बनाना है ? घर में कोई सब्जी है या नहीं? ऐसी तमाम बातें भी उनके दिमाग में चलती रहती हैं। इसकी एक वजह ये भी है कि ज्यादातर इंडियन फैमिली में पुरुष घरेलू कामों में हाथ नहीं बटाते , जिस वजह से महिलाओं को ही घर के सारे काम करने पड़ते है।
खुद के लिए टाइम नहीं
दिनभर ऑफिस और घर के काम करने की वजह से महिलाए खुद के लिए टाइम नहीं निकाल पाती। कई महिलाओं को खुद की स्किन और डायट केयर तो दूर बल्कि सोने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा। हफ्ते में एक दिन ऑफिस से मिलने वाली छुट्टी पर भी ज्यादातर महिलाएं अपने घर के काम कर के बिता देती है।
मेन्टल और फिजिकल प्रेशर
अगर घर में बच्चा छोटा है तो मां को अपना घर का काम भी खत्म करना है, ऑफिस का काम भी पूरा करना है और फिर बच्चे को भी संभालना है। अगर बच्चा नहीं है और परिवार में ऐसे मेल मेंबर्स हैं जो वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं तब भी महिला पर सबके लिए नाश्ते से लेकर खाना बनाने का बोझ आ जाता है। हर रोज़ इतना सारा काम महिलाओ की मेन्टल और फिजिकल हेल्थ को इफ़ेक्ट कर रहा है।
कोरोना के कारण सबकी ज़िन्दगी में बदलाव आया है , महिलाओ की ज़िन्दगी में तो खासतौर पर नयी चुनौतियां आयी है। घर , बच्चे और काम को एक साथ संभालना आसान नहीं है। लेकिन महिलाएं अब भी अपनी ज़िम्मेदारिया निभा रही है और सबका ख्याल रख रही है।