100 Years Of Mohammed Rafi: रफी मोहम्मद संगीत की दुनिया में एक ऐसा नाम है जिसके बिना आपकी प्लेलिस्ट कभी भी पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने अपने गानों के माध्यम से हर दिल में जगह बनाई। क्या हुआ तेरा वादा, लिखे जो खत तुझे, अभी ना जाओ छोड़कर, चुरा लिया है तुमने जो दिल को और गुलाबी आंखें जैसे कई सदाबहार गाने हैं जो उन्होंने हमें दिए हैं और उसके लिए हम उनके आभारी हैं। आज उनके 100 वें जन्मदिन पर हम उनकी जिंदगी के ऊपर बात करेंगे और इससे जुड़ी बातों को जानने की कोशिश करेंगे-
Remembering the legendary playback singer #MohammedRafi on his birth anniversary.
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) December 24, 2024
One of the most iconic and magical voices of Indian Cinema, his soulful songs continue to mesmerize music lovers across generations.@MinOfCultureGoI @NFAIOfficial @nfdcindia pic.twitter.com/63BQUTosnY
जानिए रफ़ी साहब की प्लेबैक सिंगर बनने कहानी
जानिए शुरुआती जीवन की कहानी
पंजाब के इस बेटे का जन्म 24 दिसम्बर, 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ। इनका संबंध जाट मुस्लिम परिवार से है। उन्हें प्यार से 'फीको' बुलाया जाता था। उनके पिता का नाम हाजी अली मोहम्मद और माता का नाम अल्लाह राखी बाई था। 1935 में उनके पिता लाहौर आ गए जो अभी पाकिस्तान में है। बचपन से ही रफी जी की संगीत में दिलचस्पी थी लेकिन उनके पिता संगीत के खिलाफ थे।
पंजाबी फिल्म से किया डेब्यू
लाहौर में रफी फकीर के गाने घंटों तक सुनते थे। रफी को पहली बार 13 साल की उम्र में परफॉर्मेंस देने का मौका मिला जहां पर 'के एल सहगल' भी मौजूद थे। रफी जी को लाहौर में अपनी पहली पंजाबी फिल्म 'गुलबलोच' में जीनत बेगम के साथ "गोरिये नी, हीरिये नी" गाना गाने का मौका मिला। इस गाने के संगीत निर्देशक 'श्याम सुंदर' थे।
इसके बाद रफी करियर में आगे बढ़ने के लिए 'बंबई' चले गए जिसे आज मुंबई भी बोला जाता है, वहां पर उनके संघर्ष की शुरुआत हुई। उन्होंने 'पहले आप', 'गांव की गोरी' और 'समाज को बदल डालो' जैसी हिंदी फिल्मों के लिए गाना गाया।
नौशाद ने पकड़ा हाथ
एक समय जब रफी साहब तंगहाली से गुजर रहे थे तब उनका हाथ नौशाद ने पकड़ा था। हिंदी सिनेमा में प्लेबैक सिंगर के रूप में पहचान बनाने में रफी साहब की मदद नौशाद ने ही की थी। नौशाद अली के लिए रफी साहब ने अपना पहला सॉन्ग 'हिंदुस्तान के हम हैं' गाया था। नौशाद अली के लिए कुल 149 गाने रफी साहब ने गाए जिसमें से 81 गाने सोलो हैं।
40 साल के करियर में 25,000 से ज्यादा गाने
उन्होंने लगभग 40 साल के करियर में 25,000 से ज्यादा फिल्मी गानों को रिकार्ड किया। इसके साथ उन्होंने बहुत सारे Duet गानों में भी काम किया है। रफी मोहम्मद ने लता मंगेशकर जी के साथ बहुत सारे क्लासिक गाने गाए जैसे दिल पुकारे आरे आरे, चलो दिलदार चलो, पाकीज़ा और तेरी बिंदिया रे और अभिमान।
Duet गाने भी किए
आशा भोसले जी के साथ उन्होंने कई सदाबहार गाने गए हैं जैसे अभी ना जाओ छोड़ कर, हम दोनों, ढल गया दिन हो गई शाम, हमजोली और चुरा लिया है तुमने जो दिल को आदि।
S.D बर्मन के साथ भी रफी जी ने काम किया है। उन्होंने 37 फिल्मों में काम किया जिनमें प्यासा, कागज के फूल, काला बाजार, नौ दो ग्यारह, काला पानी, तेरे घर के सामने आदि शामिल हैं।
नेशनल फिल्म अवार्ड और पद्म श्री से सम्मानित
मोहम्मद रफी जी एक वर्सेटाइल सिंगर थे जिन्होंने पंजाबी और हिंदी के अलावा भी अन्य भाषाओं में गाना गाया है। उन्होंने अलग-अलग जोनर में गाने गए हैं जैसे भजन, कव्वाली, शब्द, क्लासिकल और गजल आदि। उन्हें बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर के लिए 6 बार 'फिल्मफेयर अवार्ड' मिला। इसके साथ ही 'क्या हुआ तेरा वादा' गाने के लिए 'नेशनल फिल्म अवार्ड' से भी नवाजा गया है। 1967 में उन्हें 'पद्म श्री' नहीं मिला जो भारत रत्न के बाद भारतीय गणराज्य का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। स्वतंत्रता दिवस की पहली सालगिरह पर रफी साहब को भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू से रजत पदक प्राप्त हुआ।