Devika Rani First Lady of Indian Cinema: एक दशक था जब सिनेमा को डर्टी बिजनेस माना जाता था। लोग इसके बारे में बात जरूर करते थे लेकिन शायद कोई फिल्म खुद जाकर देखना कभी समाज के बनाए बाउंड्री में फिट नहीं हुआ। उस वक्त अगर एक महिला एक्टिंग में कदम रखती हैं तो वो अपने आप में ही बड़ी बात है। आइये आज आपको हम बताते है एक ऐसी महिला के बारे में जिन्होंने भारतीय सिनेमा में रखा पहला कदम। जानिए इस आर्टिकल में भारतीय सिनेमा की पहली महिला देविका रानी के बारे में जिन्हें फर्स्ट लेडी आफ इंडियन सिनेमा भी कहा जाता हैं।
देविका रानी चौधरी को देविका रानी नाम से जाना हैं। देविका का जन्म 30 मार्च 1908 में हुआ था और 9 साल की उम्र में उन्हें इंग्लैंड के एक बोर्डिग स्कूल में अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेज दिया गया था। देविका भारत के पहले सर्जन जनरल एम.एन चौधरी की बेटी हैं। 1920 के करीब देविका ने रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स और रॉयल अकादमी ऑफ म्यूजिक से अपनी पढ़ाई पूरी करी है।
कैसे बनीं देविका भारतीय सिनेमा की पहली महिला अभिनेता?
बात 1928 की है जब देविका की मुलाकात हिमांशु राय से हुई और आने वाले कुछ सालो में दोनों ने शादी करली। हिमांशु राय पेशे से भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर थे। देविका हिमांशु के साथ सेट पर उन्हें एसिस्ट करती थी। राय की फिल्म 'ए थ्रो ऑफ दयास' में देविका ने कॉस्ट्यूम अर्ट में उन्हें एसिस्ट किया था। यहां तक की दोनों ने साथ में जर्मनी जाकर फिल्म मेकिंग की ट्रेनिंग भी ली थी। फिर भारत आकर दोनों ने पार्टनरशिप में बॉम्बे टॉकीज की स्थापना की जिससे बॉलिवुड (Bollywood) का आगाज भी हुआ।
यहां से अगले 10 साल में देविका ने पर्दे पर एक से बढ़कर एक फिल्मों का अभिनय किया। उनकी और एक्टर अशोक कुमार की जोड़ी फिल्मों में लोगों को अति प्रिय थी। देविका ने जन्म भूमि, जीवन नैया, जवानी की हवा जैसे कई फिल्मों करी हैं। साथ ही दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली महिला भी बनी। फिल्मों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया। साथ ही उन्हें कई नेशनल और इंटरनेशनल अवॉर्ड भी मिले हैं।
देविका का निधन 1994 में हुआ और उनकी अंतिम संस्कार बंगलुरू में हुआ। देविका ना ही सिर्फ एक बेहतरीन एक्ट्रेस थी बल्कि उन्होंने महिलाओं के लिए फिल्म इंडस्ट्री का दरवाजा भी खोला।