एक दशक था जब सिनेमा को डर्टी बिजनेस माना जाता था। लोग इसके बारे में बात जरूर करते थे लेकिन शायद कोई फिल्म खुद जाकर देखना कभी समाज के बनाए बाउंड्री में फिट नहीं हुआ।
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