सत्तू से रॉकी तक देखिए बॉलीवुड की ये 7 सपोर्टिव पतियों पर आधारित हिंदी फिल्में

कई फिल्मों ने सख्त और पुराने ख्यालों वाले मर्दों की छवि को बदलकर उन्हें समझदार और नरम दिल इंसान के रूप में दिखाया है। यहाँ कुछ ऐसी हिंदी फिल्मों की लिस्ट है, जिनमें पति ने परंपरागत सोच को पीछे छोड़कर अपनी पत्नी का हर कदम पर साथ दिया।

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Rajveer Kaur
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Hindi Films On Supportive Husbands

बॉलीवुड में पत्नियों को सालों से "पतिव्रता नारी" के रूप में दिखाया जाता रहा है। लेकिन अब समय बदल रहा है और ज़रूरत है कि मर्दों की छवि को भी बदला जाए। अब उन्हें ऐसा दिखाने की ज़रूरत है जो अपनी पत्नी का साथ दें, परवाह करें और लिंग आधारित सोच को तोड़ें। कई फिल्मों ने सख्त और गंभीर पुरुषों की पुरानी छवि को तोड़कर उन्हें नरम, समझदार और सपोर्टिव पार्टनर के रूप में पेश किया है।

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सत्तू से रॉकी तक देखिए बॉलीवुड की ये 7 सपोर्टिव पतियों पर आधारित हिंदी फिल्में

1. 'धूम धाम' फिल्म से वीर

वीर (प्रतीक गांधी) एक पशु डॉक्टर है जो कोयल (यामी गौतम) जैसी आत्मनिर्भर और बेबाक लड़की से शादी करता है। शुरुआत में कोयल का आत्मविश्वास उसे असहज करता है, लेकिन बाद में वही उसे खुद की सोच पर सवाल उठाने के लिए मजबूर करता है। समय के साथ वीर एक संवेदनशील और सपोर्टिव पति बनता है। रिषभ सेठ की यह फिल्म हँसी के अंदाज़ में दिखाती है कि आज भी शादी में मर्दों से पितृसत्तात्मक उम्मीदें कैसे रखी जाती हैं।

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2. 'लापता लेडीज़' फिल्म से दीपक

दीपक (स्पर्श श्रीवास्तव) एक सीधा-सादा गांव का लड़का है, लेकिन सोच में आगे है। जब गलती से वह किसी और लड़की को अपनी पत्नी समझकर घर ले आता है, तब भी वह उसके साथ इज़्ज़त और धैर्य से पेश आता है। भले ही फूल (नितांशी गोयल) के साथ ज़्यादा सीन नहीं हैं, लेकिन दीपक का प्यार सच्चा और साफ नज़र आता है। दीपक का किरदार दिखाता है कि एक पति समझदार, संवेदनशील और बराबरी वाला भी हो सकता है। वह असली "ग्रीन फ्लैग" हैं ।

3. रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' से रॉकी

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रॉकी (रणवीर सिंह) एक ऐसा पति है जो समय के साथ बदलता है और रानी (आलिया भट्ट) जैसे समझदार और आज़ाद सोच वाली लड़की का पूरा साथ देता है। वो न उससे डरता है और न उसे कंट्रोल करता है। अपने इमोशन्स, प्यार और तकलीफ को भी खुलकर दिखाता है। करण जौहर की ये फिल्म सच्चे और दिल को छूने वाले रिश्तों को हल्के-फुल्के अंदाज़ में दिखाती है।

4. "टॉयलेट: एक प्रेम कथा' से केशव

जब जया (भूमि पेडनेकर) को ससुराल में शौचालय नहीं मिलता, तो उसका पति केशव (अक्षय कुमार) उसे एडजस्ट करने को नहीं कहता। बल्कि वो उसके लिए घर में शौचालय बनवाने के लिए परिवार, समाज और सरकारी नियमों से भी लड़ जाता है। श्री नारायण सिंह की इस फिल्म में औरतों की गरिमा और साफ-सफाई जैसे ज़रूरी मुद्दे को उठाया गया है।

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5. 'सत्यप्रेम की कथा' से सत्तू 

सत्यप्रेम उर्फ सत्तू (कार्तिक आर्यन) एक अलग तरह का हीरो है जो न ज़्यादा सफल, न बहुत कॉन्फिडेंट और न ही माचो लेकिन उसमें सच्चाई, समझदारी और भावनात्मक ताकत है। जब उसकी पत्नी कथा (कियारा आडवाणी) अपने अतीत और दर्द को बताती है तो सत्तू पहले हैरान होता है, लेकिन गुस्से या घमंड की जगह वह समझदारी और प्यार से काम लेता है। वो कथा को सुनता है, समझता है और उसे अपने दर्द से उबरने का पूरा स्पेस देता है। इस फिल्म का निर्देशन समीर संजय विदवान ने किया है।

6. 'बधाई दो' से शार्दूल

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शार्दूल (राजकुमार राव) और सुमी (भूमि पेडनेकर) की शादी एक आम शादी नहीं है, बल्कि एक समझदारी और सम्मान पर बनी 'लैवेंडर मैरिज' है। शार्दूल एक गे और सुमी एक लेस्बियन हैं, जो अपने परिवार को खुश करने के लिए शादी करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे उनके बीच एक सच्ची दोस्ती और सपोर्ट का रिश्ता बनता है। शार्दूल सुमी और उसकी पार्टनर रिमझिम (चुम दरांग) का साथ देता है और खुद की सच्चाई के लिए भी खड़ा होता है।

7. 'की एंड का' से कबीर 

'की एंड का' एक अनोखी फिल्म है जो जेंडर रोल्स को तोड़ती है। इसमें कबीर (अर्जुन कपूर) एक ऐसा पति है जिसे घर संभालना और किचन में काम करना पसंद है, जबकि उसकी पत्नी किया (करीना कपूर खान) एक करियर फोकस्ड बिजनेसवुमन है। किया कबीर को साफ बताती है कि उसका काम ही उसकी पहचान है, और शादी के बाद दोनों वही करते हैं जो उन्हें पसंद है बिना एक-दूसरे को बदले।