Message Of Respect And Consent Through Satyaprem Ki Katha: जब 'सत्यप्रेम की कथा' थिएटर में रिलीज़ हुई थी तब दर्शकों ने इसे एक बॉलीवुड की वही साधारण रॉमकॉम फिल्म ही सोची होगी लेकिन जिन्होंने इसे सच में सिनेमा घरों में देखा है केवल उन्हें ही पता है कि यह उससे कहीं ज्यादा हैI आज के दौर में बॉलीवुड एक से बढ़कर एक असाधारण यूनिक कंटेंट एवं स्टोरी टेलिंग के साथ सिनेमा बनाते हैं और सत्य प्रेम की कथा भी कुछ ऐसी ही हैI 5, 6 रोमांटिक मसालेदार गाने, हंसानेवाले, रिझानेवाले डायलॉग, एक प्रतिभाशाली कास्ट और एक दिल-दहला देने वाली कहानीI समीर संजय विधवंस के निर्देशन में बनी यह फिल्म कोई आम लव स्टोरी नहीं हैI
कहानी का मूल संदेश
कहानी सत्यप्रेम (कार्तिक आर्यन) से शुरू होती है, एक मध्यवर्गीय परिवार का बेटा है जो 3 साल से एल एल बी की परीक्षा देकर फेल हो चुका है और घर पर बैठा हैI सत्तू (सत्यप्रेम) का केवल एक ही सपना है और वह है शादी करना नवरात्रि के समय सत्तू के पिता के कहने पर कथा (कियारा आडवाणी) से मिलने जाता है लेकिन देखा है कि कथा उसने खुदकुशी करने की कोशिश की पर वह कथा की जान बचा लेता हैI यह देखकर कथा के पिता उसकी शादी सत्तू से करवा देते हैंI लेकिन असली कहानी शादी के बाद शुरू हुई जब सत्तू को धीरे-धीरे यह एहसास हुआ कि कथा इस शादी से खुश नहीं है लेकिन सत्तू के प्यार और इंसानियत को देखकर कथा उनके रिश्ते को एक मौका देने की कोशिश करती है जब सत्तू के सामने यह सच आता है कि उसके पिछले रिलेशनशिप में कथा के पार्टनर तपन ने उसका बलात्कार किया थाI
लेकिन "क्या वह सच में बलात्कार है जब दोनों एक रिश्ते में हो?"
यही इस फिल्म के द्वारा निर्देशक हमें यह संदेश देने की कोशिश करता है कि यदि कोई रिलेशनशिप में हो चाहे वह शादी से पहले या शादी के बाद एक पार्टनर का यह कभी भी हक नहीं बनता कि वह अपनी संतुष्टि के लिए अपने पार्टनर की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ जबरदस्ती करें तो वह जबरदस्ती नहीं बलात्कार ही होता हैI यदि एक लड़की 'ना' कहे तो उसके ना का मतलब ना ही हैI लेकिन समाज को आज तक यह बात समझ कहां आई है, वह तो माहिर है सारे दोष उस लड़की पर डालने के लिएI
क्या एक लड़की की कोई अहमियत नहीं होती है?
यह सवाल फिल्म में कथा के किरदार के द्वारा हम सब से पूछा गया और इसका जवाब उसके पति सत्यप्रेम ने दियाI
पूरे फिल्म में सत्तू ने न सिर्फ एक लड़की को उसके हक का सम्मान दिया बल्कि उसके हक की लड़ाई करने पर भी उसे प्रेरित कियाI आज हमारे देश में ऐसी कितनी ही लड़कियों का बलात्कार होता है और आधे से ज्यादा तो हमें मालूम ही नहीं होते क्योंकि वह 'इज़्ज़त' और 'शर्म' के खातिर दब जाते हैं और जिन्हें शर्मसार होना चाहिए वह समाज में सिर उठाकर जी रहे हैंI जब सत्तू को अपनी पत्नी के साथ हुए इस नाइंसाफी का पता चला तो वह अपने ससुर से बात करने गया लेकिन जब उसने देखा की कथा के पिता खुद उसका अपमान कर रहे हैं तो वह दो पल भी नहीं घबराया अपना हाथ उठाने मेंI लेकिन उसने खुद को रोक लिया उस गुनहगार पर हाथ उठाने के लिए सच में यह घिनौनी हरकत की थीI सत्तू वह इंसान है जिसने बाकियों की तरह अपनी पत्नी पर शक नहीं किया चाहे वह तपन के साथ एक रिश्ते में ही क्यों न थीI उसने कथा को इस बात के लिए राज़ी किया कि यह कथा की लड़ाई है और उसे खुद ही इससे बाहर निकलना पड़ेगा अपने लाइफ का 'हीरो' बनकरI उसने कथा का साथ निभाया इसके बावजूद भी कि शायद उसकी पत्नी इस हादसे को कभी ना भूल पाए और उसके करीब ना आ पाएI सत्तू ने यह साबित किया कि एक रिश्ता केवल किसी को छूने से नहीं बल्कि किसी से प्रेम और उसका सम्मान करने से बनता है और किसी लड़की को उसके ना के खिलाफ छूना और उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी करवाना मान्य नहीं हैI