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Hindi Cinema: हिंदी सिनेमा में महिलाओं का कैसा प्रतिनिधित्व रहा है?

हिंदी सिनेमा एक जरूरी माध्यम है जो समाज में कई विषयों और मुद्दों को प्रस्तुत करता है, इसके माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की है। महिलाओं को पहले किस तरह दर्शाया जाता था और अब क्या बदलाव है चलिए जानते हैं

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Niharikaa Sharma
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(Image Source: Pexels)

Representation Of Women In Hindi Cinema: हिंदी सिनेमा एक जरूरी माध्यम है जो समाज में कई विषयों और मुद्दों को प्रस्तुत करता है, सहजता से बोलता है और मनोरंजन करता है। हिंदी सिनेमा ने भारतीय जनता की भावनाओं, संवेदनाओं और समाज की एक्सपेक्टेशन को बखूबी दर्शाया। इसके माध्यम से समाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की है जैसे कि जाति, धर्म, जेंडर और राजनीति। हिंदी सिनेमा के माध्यम से, हमारा समाज अपने विचारों को बदलता है, धार्मिकता, समाज की बुराईयों और महिलाओं के हक के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होता जा रहा है। महिलाओ को पहले किस तरह दर्शाया जाता था और अब क्या बदलाव है चलिए जानते हैं

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हिंदी सिनेमा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

महिलाओं को नहीं मिलता था खास किरदार 

पहले के मूवी की अगर बात करें तो महिलाओं का कोई खास किरदार नही नजर आता था। उस समय जितनी भी मूवी बनाई जा रही थी वे पुरषों के लिए या पुरषों के पक्ष में बनाई जाती थी जिनमें अगर आप महिलाओं को देखेंगे तो वे या तो देवी होती थी या त्याग की मूर्ति। उन्हें कोई स्ट्रांग रोल नहीं मिलता था। उन्हें सिर्फ स्क्रीन पर दर्शकों के मनोरंजन के लिए पेश किया जाता था। पहले के समय में महिलाओ को बस इसी अंदाज में दर्शाया जाता था जैसे परिवार चाहता वे वैसे ही ढल जाती हैंउन। वह अपने साथ हो रहे विरोध को सहन कर रही हैं और एक संस्कारी बहु बन कर दिखा रही हैं। उन महिलाओं को बुरी दिखाया जाता था जो अपने लिए स्टैंड लेती हैं या फिर पढ़ी लिखी हैं। 

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लीड को सपोर्ट करते हुए ही नजर आती थी 

पहले की कुछ मूवी को छोड़ कर बस ये दर्शाते थे के एक महिला का दायरा बस चार दिवारी ही है उनका अपना कोई अस्तित्व ही नही हैं। वे बस अपने पति और अपने बच्चो की सेवा करें और उन्ही के सपनों को अपना समझें। पहले महिलाएं फिल्म में बस लीड को सपोर्ट करते हुए ही नजर आती थीं। मूवी एक हीरो के नाम से ही जानी जाती थी और स्टोरी भी केवल हीरो के आस-पास ही घूमती है। लव इंटरेस्ट या किसी गाने में बस महिलाओ को ज्यादा दर्शाया जाता था।

अब देखने को मिलता है बदलाव 

यह तो सच है के सिनेमा के पास सोसाइटी को किस शेप में ढालना है इसकी ताकत है। अब आज की मूवी की अगर बात करें तो हालत काफी बदल गए हैं। अब एक अकेली फीमेल एक्ट्रेस के बदौलत फिल्म बनती है और सुपर हिट भी होती है। ये फिल्में ज्यादातर सोसाइटी के लिए कोई न कोई मैसेज लेकर आती है। लोगो को जागरूक करने की कोशिश करती है। यही नहीं बल्कि ये महिलाओ को इंडिरेक्टली काफी बाते भी समझती हैं।

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