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Rape के खिलाफ बॉलीवुड ये फ़िल्में देती हैं महिलाओं को आवाज़ बुलंद करने की सीख

बॉलीवुड: भारतीय फिल्में आरंभ से ही भारतीय समाज का आईना रही है, जो समाज में मौजूद वास्तविकता और मुद्दों को दर्शाती है। फ़िल्में के माध्यम से महिलाओं को सीख दी गईं कि कैसे वह अपने साथ हो रहे अपराध के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करें।

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Ruma Singh
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Rape

(Credit Image- File Image)

These Bollywood Movies Teach Women To Raise Their Voice Against Rape: दशक दर दशक फिल्मों में बदलाव हुए हैं, फिर भी भारतीय फिल्में आरंभ से ही भारतीय समाज का आईना रही है, जो समाज में मौजूद वास्तविकता और मुद्दों को दर्शाती है। आज भी समाज में मौजूद अपराध को पहचान कर सिनेमा उस पर उंगली रखता है, जिसे समाज स्वीकार कर, ठीक कर आगे बढ़ता है। हर दौर में फिल्मकारों ने अपने दौर की समस्याओं पर कैमरा और लेखकों ने कलम चलाई, खासतौर पर महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को दिखाने का प्रयास किया। कई ऐसी फिल्में हैं, जो महिलाओं के साथ हो रहे जघन्य अपराध के खिलाफ आवाज उठाती हैं और दर्शकों को जागरुक करने का काम करती है। आज जो हमारे देश में महिलाओं की स्थिति हैं, उसे फिल्मों में कई दशक पहले से ही दर्शकों के समक्ष रखा गया और महिलाओं को सीख दी गईं कि कैसे वह अपने साथ हो रहे अपराध के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करें।

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रेप के खिलाफ ये फ़िल्में महिलाओं को देती हैं आवाज़ बुलंद करने की सीख 

1. दामिनी

साल 1993 में आई राजकुमार सिंतोषी की सनी देओल और मीनाक्षी स्टारर फिल्म 'दामिनी' आज के समय में भी हिट मूवीज़ में से एक है। यह फ़िल्म समाज में व्याप्त रेप जैसे जघन्य अपराध की समस्या को दर्शाती है। फ़िल्म एक घरेलू नौकरानी के रेप के मामले के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसकी एकमात्र चश्मदीद ग्वाह दामिनी रहती है, जो पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए अपने परिवार के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाती है और पीड़िता को इंसाफ दिलाती है। दूसरी तरफ फ़िल्म में यह भी दिखाने पर जोर दिया गया है कि किसी महिला के लिए दुष्कर्म से भी बड़ी प्रताड़ना है समाज के गंदे नज़रों और बेबुनियादी सवालों का सामना करना। 

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2. मातृ 

इस फ़िल्म की कहानी है दिल्ली शहर की। जिसे अक्सर भारत के रेप कैपिटल के तौर पर जाना जाता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक मां अपनी बेटी के साथ कुकर्म करने वाले अपराधी से बदला लेती है। यह फिल्म इस बात पर भी जोड़ देता है, कि आज भी महिलाओं को न्याय दिलाने में कानून व्यवस्था असमर्थ है, लेकिन लगातार संघर्ष और ज़ज़्बात से आखिर में न्याय पाया जा सकता है।

3. भूमि 

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भूमि एक भावनात्मक पिता और पुत्री की कहानी है, जिसमें गैंगरेप की शिकार हुई अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए एक पिता पुलिस के पास जाता है, तो उसकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया जाता लेकिन इसके बावजूद भी एक पिता अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए किस हद तक जा सकता है, इसे फिल्म में बखूबी दिखाया गया है।

4. सेक्शन 375

अजय बहल द्वारा निर्देशित फ़िल्म में दिखाया गया है कि किसी भी महिला के साथ उसकी मर्जी के बिना बनाया गया शारीरिक संबंध दुष्कर्म है। महिलाओं के साथ होने वाले जुल्म की सजा सेक्शन 375 के अंतर्गत ही मिलती है, लेकिन कई बार इसका नजायज़ फायदा उठाया जाता है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे रेप पीड़िता के आरोपी को बचाने की कोशिश की जाती है।

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