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रेप पीड़िताओं का आवाज उठाना उनकी इज्जत के साथ क्यों जोड़ा जाता है?

जब कोई महिला रेप का शिकार होती है, तो उसके साथ हुई इस बर्बरता को उसकी इज्जत से जोड़ दिया जाता है। यह सोच न केवल विकृत है, बल्कि समाज में महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान के प्रति एक गलत संदेश भी देती है।

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Srishti Jha
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Rape Victim

Why is Speaking Out by Rape Survivors Linked to Their Honor: हमारे समाज में रेप पीड़िताओं के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है, वह अक्सर न केवल अमानवीय होता है, बल्कि उनकी हिम्मत और साहस को भी कुचलने की कोशिश करता है। जब कोई महिला रेप का शिकार होती है, तो उसके साथ हुई इस बर्बरता को उसकी इज्जत से जोड़ दिया जाता है। यह सोच न केवल विकृत है, बल्कि समाज में महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान के प्रति एक गलत संदेश भी देती है। इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों रेप पीड़िताओं का आवाज उठाना उनके इज्जत के साथ जोड़ा जाता है और इसके परिणामस्वरूप समाज पर क्या असर पड़ता है।

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रेप पीड़िताओं का आवाज उठाना उनकी इज्जत के साथ क्यों जोड़ा जाता है?

1. पितृसत्तात्मक समाज की सोच

हमारे समाज में पितृसत्तात्मक सोच गहरी जड़ें जमाए हुए है, जिसमें महिला की इज्जत को उसकी शारीरिक पवित्रता से जोड़कर देखा जाता है। इस सोच के कारण रेप को एक अपराध के बजाय महिला के सम्मान पर हमला माना जाता है, जो कि बिल्कुल गलत है। 

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2. बलात्कार की शिकार महिलाओं को दोषी ठहराना

अक्सर देखा जाता है कि जब कोई महिला बलात्कार की शिकार होती है और वह अपने साथ हुए अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती है, तो समाज उसे ही दोषी ठहराने लगता है। उसे अपमानित किया जाता है और उसकी स्थिति को लेकर शर्मिंदगी महसूस कराई जाती है, जिससे वह चुप हो जाने के लिए मजबूर हो जाती है।

3. समाज में बदनामी का डर

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रेप पीड़िताओं के साथ उनके परिवार को भी बदनामी का डर सताता है। समाज में इस बात का डर होता है कि यदि उन्होंने रेप के खिलाफ आवाज उठाई, तो उनकी बेटी की इज्जत के साथ-साथ परिवार की भी बदनामी होगी। इस सोच के कारण कई परिवार मामले को दबाने की कोशिश करते हैं।

4. कानूनी और सामाजिक समर्थन की कमी

बहुत से मामलों में रेप पीड़िताओं को पर्याप्त कानूनी और सामाजिक समर्थन नहीं मिलता। इसके विपरीत, उन्हें न्याय पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जब वे इस प्रक्रिया से गुजरती हैं, तो समाज की नजरों में उनकी इज्जत पर सवाल उठाया जाता है, जो उन्हें और अधिक मानसिक पीड़ा देता है।

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5. पीड़िता की चुप्पी को बढ़ावा देना

रेप को इज्जत के साथ जोड़ने की सोच पीड़िता को चुप रहने के लिए मजबूर करती है। इससे अपराधी को प्रोत्साहन मिलता है और वह बिना किसी डर के इस घिनौने काम को अंजाम देता है। यह चुप्पी अपराधियों को बढ़ावा देती है और समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उदासीनता को बढ़ाती है।

रेप पीड़िताओं का आवाज उठाना उनके इज्जत के साथ जोड़ना एक पुरानी और गलत सोच का परिणाम है, जो समाज में महिलाओं की स्थिति को और कमजोर करता है। हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है और रेप के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं का समर्थन करना चाहिए, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और समाज में सही संदेश जाए। महिलाओं की इज्जत उनकी आत्मा, उनके व्यक्तित्व और उनके अधिकारों से जुड़ी होती है, न कि किसी बाहरी घटना से। समाज को इस बात को समझने की जरूरत है और इसे अपने व्यवहार में अपनाने की भी।

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