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राम चरण की पत्नी और अपोलो हॉस्पिटल्स की वाइस चेयरपर्सन उपासना कामिनेनी कोनीडेला ने हाल ही में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मसूम मीनावाला के साथ बातचीत में अपनी निजी जिंदगी का एक अहम फैसला साझा किया। उन्होंने अंडाणु फ्रीजिंग (egg freezing) को ‘इंश्योरेंस पॉलिसी’ बताते हुए कहा कि इस फैसले ने उन्हें अपने शरीर और भावनाओं पर नियंत्रण करने की ताकत दी।
Upasana Kamineni ने Egg Freezing को बताया इंश्योरेंस पॉलिसी, जानिए क्यों है ये फैसला खास
स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन की ज़िम्मेदारी
उपासना ने बताया कि एक समय ऐसा था जब वो अपने इमोशन्स के आगे झुक जाती थीं। स्ट्रेस के चलते ओवरईटिंग और खुद को दूसरों से अलग करना उनकी आदत बन गई थी। लेकिन अब वह उन मुश्किलों से निकल चुकी हैं और खुद को एक सशक्त और संतुलित महिला के रूप में देखती हैं।
“अब मुझे पता है कि अगर मैं तनाव में हूं तो मैं खुद से कह सकती हूं 'तू स्ट्रेस में है, इससे निपट, इसका हल निकाल'।”
उनका यह आत्मविश्वास और आत्मनिरीक्षण आज की हर महिला के लिए मिसाल है।
'इंश्योरेंस पॉलिसी' के रूप में अंडाणु फ्रीजिंग
उपासना का मानना है कि अंडाणु फ्रीजिंग सिर्फ प्रजनन (fertility) से जुड़ी बात नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक सुरक्षा कवच है।
“लोग सोचते हैं कि अंडाणु फ्रीजिंग केवल गर्भधारण में समस्या के लिए होती है, लेकिन मैं कहती हूं कि यह एक सिक्योरिटी है। जैसे जीवन बीमा होता है, वैसे ही यह हर महिला के लिए बेस्ट इंश्योरेंस है, जिससे वो अपने हिसाब से मां बनने का फैसला ले सकती है।”
इस तरह उपासना ने महिलाओं को यह संदेश दिया कि माँ बनने का फैसला उनकी पसंद और समय पर आधारित होना चाहिए, न कि सामाजिक दबाव पर।
बेटी क्लिन कारा का स्वागत: एक प्राकृतिक अनुभव
हालांकि उन्होंने अंडाणु फ्रीज किए थे, लेकिन उपासना ने अपनी बेटी क्लिन कारा कोनीडेला को नैचुरल डिलीवरी से जन्म दिया। इस अनुभव को उन्होंने ‘अद्भुत’ बताया।
ETimes को दिए एक पुराने इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मेरे दादा इस फैसले को लेकर काफी इच्छुक थे, और हमने उस समय एक डॉक्टर के साथ काम किया था। यह मेडिकल साइंस की ताकत है कि फ्रीज किए गए अंडाणु भविष्य में अंग निर्माण जैसे कार्यों में भी सहायक हो सकते हैं।”
महिलाओं के लिए एक प्रेरणा
उपासना कामिनेनी कोनीडेला का यह साहसिक कदम महिलाओं को अपने शरीर, समय और करियर के बीच संतुलन बनाने का आत्मविश्वास देता है। उन्होंने दिखा दिया कि माँ बनने का निर्णय महिला की अपनी शर्तों पर होना चाहिए, न कि किसी सामाजिक टाइमलाइन पर।