Bollywood Film Aachari Baa: अचार बनाने वाली 65 वर्षीय महिला की कहानी क्या है?

बॉलीवुड फिल्म 'अचारी बा' एक 65 वर्षीय महिला जैशनवी की प्रेरणादायक कहानी को दर्शाती है जो एक छोटे से गुजरात के शहर में अचार बनाकर अपनी आजीविका कमाती है।

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Sakshi Rai
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achari baa

Photograph: (timesofindia)

What is the story of a 65 year old woman who makes pickles: बॉलीवुड फिल्म अचारी बा एक प्रेरणादायक कहानी है जो हिम्मत, आत्मनिर्भरता और संघर्ष को खूबसूरती से दर्शाती है। यह फिल्म जैशनवी (नीना गुप्ता) नाम की 65 वर्षीय महिला की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक छोटे से गुजरात के शहर में अचार बनाकर अपनी आजीविका कमाती है। उम्र की सीमाओं को तोड़ते हुए, वह न केवल अपना व्यवसाय चलाती है बल्कि समाज में अपनी एक अलग पहचान भी बनाती है। 

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फिल्म न केवल एक महिला के संघर्ष और उसके जज्बे को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे परंपरागत व्यवसाय और घरेलू हुनर बड़े स्तर पर पहचान पा सकते हैं। 

अचार बनाने वाली 65 वर्षीय महिला की कहानी क्या है?

हर घर में बुजुर्ग महिलाएं होती हैं जो जीवन भर अपने परिवार की देखभाल करती हैं। कई बार उनके अनुभव और मेहनत को उतनी अहमियत नहीं दी जाती जितनी दी जानी चाहिए। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो जाते हैं तो बुजुर्गों को ऐसा लगने लगता है कि उनकी ज़रूरत कम हो गई है। इस स्थिति में कई महिलाएं अपनी पहचान बनाने की कोशिश करती हैं और कुछ नया करने का हौसला रखती हैं।

यही कहानी है एक 65 वर्षीय महिला की जो अपने घर में अचार बनाकर अपनी आजीविका कमाने का फैसला करती है। शुरुआत में यह सिर्फ एक पारिवारिक परंपरा की तरह था क्योंकि भारतीय घरों में अचार बनाना सदियों से चलता आ रहा है। लेकिन जब उन्होंने इसे एक व्यवसाय के रूप में देखने की कोशिश की तो चुनौतियाँ सामने आने लगीं। उम्र के इस पड़ाव पर कोई नया काम शुरू करना आसान नहीं होता। लोग ताने मारते हैं परिवार में भी समर्थन नहीं मिलता और सबसे बड़ी बात आत्मविश्वास डगमगाने लगता है।

लेकिन हौसले के आगे सब कुछ छोटा पड़ जाता है। जब उन्होंने अपने हाथों से बने अचार को दूसरों को चखाया, तो लोगों को उसका स्वाद बेहद पसंद आया। धीरे-धीरे उनके बनाए अचार की मांग बढ़ने लगी। पड़ोसियों से शुरू हुआ यह सफर धीरे-धीरे शहर के बाहर तक पहुँच गया। सोशल मीडिया और स्थानीय बाजारों की मदद से उनके अचार की पहचान बनने लगी। यह सिर्फ एक व्यवसाय नहीं था बल्कि उनके आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की जीत थी।

यह कहानी सिर्फ अचार बेचने की नहीं, बल्कि खुद पर भरोसा रखने की है। समाज में यह धारणा बनी हुई है कि एक उम्र के बाद महिलाओं को सिर्फ आराम करना चाहिए लेकिन इस महिला ने दिखा दिया कि इच्छाशक्ति और मेहनत की कोई उम्र नहीं होती। जब कोई व्यक्ति खुद पर भरोसा करता है और लगातार प्रयास करता है तो सफलता जरूर मिलती है।

इस कहानी से हर उम्र की महिलाओं को सीख मिलती है कि चाहे हालात कैसे भी हों अगर हौसला मजबूत हो तो जिंदगी में कुछ भी नया शुरू किया जा सकता है।

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