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नोरा फतेही का नारीवाद पर बयान क्यों मचा रहा है बवाल?

नोरा फतेही के नारीवाद विरोधी बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। क्या वाकई नारीवाद कट्टरपंथी है? लेख में समझें नारीवाद का असली अर्थ और समाज में महिलाओं की भूमिका

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Vaishali Garg
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Nora Fatehi

Nora Fatehi's Take on Feminism: Is Feminism Really Radical? बॉलीवुड अभिनेत्री और डांसर नोरा फतेही ने हाल ही में नारीवाद पर अपने विचार साझा किए हैं, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। आइए देखें उन्होंने क्या कहा और नारीवाद (Feminism) के बारे में यह विवाद क्यों खड़ा हो रहा है।

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नोरा फतेही के बयान से भड़का विवाद: क्या वाकई नारीवाद कट्टरपंथी है?

नोरा फतेही का क्या कहना है?

नोरा का कहना है कि मूल रूप से नारीवाद एक महान विचारधारा है, लेकिन यह कट्टरपंथी बन गया है जो समाज के लिए खतरनाक है। उन्होंने यह भी कहा कि "बहुत से पुरुषों को नारीवादी दौर ने ब्रेनवॉश कर दिया है।" 

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उनका मानना है कि पुरुष और महिलाएं हर चीज में समान नहीं होतीं, समाज में उनकी अलग-अलग भूमिकाएँ होती हैं। फतेही ने कहा कि वह "घर में पुरुष और महिला के बीच गतिशीलता न होने" के विचार में विश्वास नहीं करती हैं। उनका मानना है कि महिलाओं को स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन एक सीमा तक। उन्हें "मां, पत्नी और पालनहार" की भूमिका निभाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने पुरुषों के बारे में भी यही बात कही। 

क्या नारीवाद कट्टरपंथी है?

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नोरा फतेही की टिप्पणियों से यह पता चलता है कि उन्हें लगता है कि नारीवाद अब कट्टरपंथी बन गया है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? नारीवाद महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें चयन का अधिकार देने के बारे में है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह पुरुषों के अधिकारों का हनन करता है। 

नारीवाद और समाज में महिलाओं की भूमिका

नोरा फतेही का यह कहना कि महिलाओं को शादी करनी चाहिए और बच्चों को जन्म देना चाहिए, यह नारीवाद के मूल सिद्धांतों के खिलाफ जाता है। नारीवाद महिलाओं को यह अधिकार देता है कि वे अपने जीवन के बारे में फैसला लें। इसमें शादी करना, बच्चे पैदा करना या फिर सिंगल रहना भी शामिल है। 

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समाज में पुरुषों की भूमिका

नोरा फतेही ने पारंपरिक लिंग भूमिकाओं का समर्थन किया है। हालांकि, नारीवाद पुरुषों को भी लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ने और महिला सशक्तीकरण का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। पुरुषों को भी यह अधिकार है कि वे गृहस्थ हों या बाहर काम करें। 

नोरा फतेही की टिप्पणियों ने नारीवाद की गलत व्याख्या की ओर इशारा किया है। नारीवाद पुरुषों और महिलाओं को समान अवसर और अधिकार प्रदान करने की मांग करता है। यह समाज के लिए खतरा नहीं बल्कि सशक्तिकरण का मार्ग है। 

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