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Hindi Cinema: फ़िल्में जिनमें महिलाओं की भूमिका रही अहम्

बॉलिवुड/ ब्लॉग : हिंदी सिनेमा या बॉलिवुड में बहुत-सी ऐसी फ़िल्में भी रहीं हैं जिनमें महिलाओं ने मुख्य भूमिका देकर समाज में कुछ परिवर्तन किया है।

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Prabha Joshi
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आंधी

फ़िल्म आंधी के गीत और सुचित्रा सेन की एक्टिंग कॉफ़ी पापुलर हुई

Hindi Cinema: हिंदी सिनेमा या बॉलिवुड में बहुत-सी ऐसी फ़िल्में हैं जो महिला प्रधान हैं। फ़िल्मों में ड्रामा, एक्शन, रोमांस, ट्रैजिडी, कॉमेडी जैसे बहुत से जॉनर होते हैं, पर आज हम बात करेंगे उन हिंदी फ़िल्मों की जिन्होंने हिंदी सिनेमा को झकझोर कर रख दिया। ज़मीनी स्तर से जुड़ी हलचलों को बड़े पर्दे पर दिखाकर इन फ़िल्मों ने दर्शा दिया था कि एक भारत ये भी है, और यहां से आता है!

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फ़िल्में जिनमें महिलाओं का रोल रहा महत्वपूर्ण

फ़िल्मी पर्दे में हमेशा से सौंदर्य ने ही कमाल नहीं किया, फ़िल्म के कॉन्टेंट ने भी किया। सौंदर्य और रोमांस से इतर ये फ़िल्में ऐसी कहानियां लाईं जो ज़मीनी हक़ीक़त से जुड़ी थीं और जिनका सामना हर किसी के बस में नहीं था। 

  1. मदर इंडिया : महबूब ख़ान की निर्देशित फ़िल्म मदर इंडिया 1957 में आई। फ़िल्म में नरगिस, सुनिल दत्त, राज कुमार, कन्हैया लाल मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म में एक असल भारतीय नारी का व्यक्तित्व प्रदर्शित होता है। 
  2. सुजाता :1959 में आई फ़िल्म सुजाता का निर्देशन बिमल रॉय ने किया है। इस फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफ़ी देखने लायक़ है। ऊंची-नीची जात का भेद मिटाने वाली इस फ़िल्म में मुख्य क़िरदार नूतन, सुनील दत्त, तरुण बोस, सुलोचना और ललिता पवार का है। फ़िल्म में ब्राह्मण दंपति एक अछूत कन्या को गोद लेते हैं। किस तरह ये कन्या बड़े होकर समाज में व्याप्त छुआछूत को मिटाती में मिसाल बनती है, देखने लायक़ है। 
  3. अर्थ : महेश भट्ट द्वारा निर्देशित फ़िल्म अर्थ 1982 में आई थी। फ़िल्म में मुख्य क़िरदारों में शबाना आजमी, कुलभूषण खरबंदा और स्मिता पाटिल। फ़िल्म में विवाहेत्तर संबंधों में उभरती हुई परेशानियों को दर्शाया था। फ़िल्म में एक्स्ट्रामैरिटल अफ़ेयर्स और घरेलू हिंसा केंद्र में रखे गए थे। फ़िल्म में किस तरह एक महिला अन्य महिलाओं के लिए मिसाल बनती है इसको बख़ूबी दर्शाया है।
  4. दामिनी : 1993 में आई फ़िल्म दामिनी राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित है। फ़िल्म में डॉयलाग और कोर्ट सीन देखने लायक़ है।  मुख्य भूमिका में मिनाक्षी शेषाद्री, सुनील देओल, अमरीश पुरी मुख्य भूमिका में हैं। किस तरह न्याय के लिए एक महिला अपने देवर को सज़ा दिलाने के लिए लड़ती है, बख़ूबी दिखाया है।
  5. मृत्युदंड : 1997 में आई फ़िल्म है। फ़िल्म का निर्देशन प्रकाश झा ने किया है। इस फ़िल्म में तीन बहादुर महिलाएं के काम दिखाएं हैं जो अपनी ज़िंदगी में पुरुषों द्वारा अत्याचार के ख़िलाफ़ लड़ती हैं। फ़िल्म के दृश्य झकझोर देते हैं।
  6. आंधी : 1975 में आई फ़िल्म आंधी गुलज़ार द्वारा निर्देशित है। फ़िल्म में सुचित्रा सेन, संजीव कुमार मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म में दिखाया है किस तरह एक महिला अपने करिअर को मौक़ा देते हुए जीवन के सभी संघर्षों से डटकर जूझती है।

इस तरह ये फ़िल्में अलग-अलग एंगल्स से महिलाओं द्वारा लिए स्टैंड को दर्शातें हैं। इन फ़िल्मों के दृश्य, डॉयलॉग्स  और भाव-भंगिमाएं सभी प्रेरित करते हैं।

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