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Photograph: (scoonews)
Why Is a Job Still Not Considered Essential for Girls: हमारे समाज में लड़कियों की शिक्षा और करियर को लेकर सोच बदल जरूर रही है, लेकिन आज भी हर घर में यह सवाल उठता है कि "लड़की को नौकरी करने की क्या ज़रूरत है?" यह सोच कहीं न कहीं हमारे पारंपरिक विचारों से जुड़ी हुई है, जहाँ एक लड़की की ज़िंदगी को सिर्फ शादी, परिवार और घर तक सीमित माना जाता है।
आज भी लड़कियों के लिए नौकरी को ज़रूरी क्यों नहीं माना जाता?
आज भी कई परिवारों में लड़की के लिए अच्छी पढ़ाई करवाने का मतलब सिर्फ एक अच्छा रिश्ता मिलना होता है, न कि उसे आत्मनिर्भर बनाना। कई माता-पिता सोचते हैं कि आखिर नौकरी करके लड़की को क्या मिलेगा, क्योंकि अंत में तो उसे घर ही संभालना है। खासकर जब घर में लड़कों को प्राथमिकता दी जाती है, तो लड़कियों के करियर को ज़रूरी नहीं समझा जाता।
1.बेटी को नौकरी की क्या ज़रूरत? – यह सवाल अब भी कई घरों में आम है। लोगों को लगता है कि शादी के बाद पति कमाएगा, तो लड़की को काम करने की ज़रूरत ही क्या है।
2.नौकरी से ज्यादा घर ज़रूरी है! – कई जगहों पर लड़कियों को यह सिखाया जाता है कि करियर से ज़्यादा ज़रूरी घर की जिम्मेदारियाँ निभाना है, जिससे उनकी पढ़ाई और प्रोफेशनल ग्रोथ प्रभावित होती है।
3.अच्छी बहू बनने का दबाव – कई परिवारों में लड़की से उम्मीद की जाती है कि वह नौकरी के बजाय घर-गृहस्थी में ज्यादा ध्यान दे, ताकि उसकी शादी जल्दी और अच्छे परिवार में हो जाए।
4.अगर नौकरी करनी भी है, तो बस जब तक शादी नहीं होती – कुछ परिवार करियर की इजाज़त तो देते हैं, लेकिन शादी के बाद उसे छोड़ने का दबाव बना दिया जाता है।
5.सेफ्टी और फैमिली इमेज का डर – कई माता-पिता यह सोचकर डरते हैं कि अगर बेटी बाहर काम करेगी, तो समाज क्या कहेगा? या बाहर की दुनिया उसके लिए सुरक्षित नहीं है।
सोच बदलने की ज़रूरत
हालांकि अब कई लड़कियाँ अपने दम पर करियर बना रही हैं, लेकिन सही मायनों में बदलाव तभी आएगा जब हर परिवार यह समझेगा कि नौकरी सिर्फ पैसा कमाने का ज़रिया नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का तरीका है।समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है, लेकिन जब हर परिवार लड़कियों के करियर को उतनी ही अहमियत देने लगेगा जितनी लड़कों को दी जाती है, तभी असली परिवर्तन आएगा।
1.लड़कियों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए, ताकि वे खुद के फैसले ले सकें और किसी पर निर्भर न रहें।
2.करियर सिर्फ ज़रूरत नहीं, बल्कि हक़ भी है। एक लड़की जितनी पढ़ी-लिखी और आत्मनिर्भर होगी, उतना ही वह अपने जीवन में बेहतर फैसले ले पाएगी।
3.शादी या परिवार ही ज़िंदगी का एकमात्र लक्ष्य नहीं है। नौकरी करने से आत्मसम्मान बढ़ता है, पहचान मिलती है और समाज में एक मजबूत जगह बनती है।
4.माता-पिता को समझना होगा कि लड़का और लड़की दोनों को समान अवसर मिलने चाहिए। करियर का सपना केवल लड़कों का हक नहीं है।