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1. शादी का खर्चा
हर साल शादियों में 5 से 20 लाख खर्च हो जाते हैं। वहीं ज्यादातर खर्चे की जिम्मेदारी दुल्हन के परिवार केेेे ऊपर आती है, जबकि ये बिल्कुल गलत है। सिर्फ वह लड़की वाले हैं इसलिए क्या उन्हें ज्यादा खर्चा करना चाहिए? ऐसा कहा जाता है कि शादी से दो परिवारों का मिलन होता है, तो शादी के खर्चे में भी दोनों परिवारों को मिलन होना चाहिए। यह लड़की और लड़के दोनों परिवारों की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
2. लोगों का घूरना
जब भी शादी में अपनी मनपसंद के पसंदीदा कपड़े पहने जाते हैं, तो रिश्तेदारों की टिप्पणी पहले आती हैं। मेरी ब्लाउज की लंबाई से किसी और को फर्क नहीं पड़ना चाहिए। इन कपड़ों के आधार पर लोग पहले ही जज करने लगते है की लड़की कितनी कैरक्टरलेस है। कपड़ों के मुताबिक संस्कारों के लिए जज करना छोटी ब्लाउज से भी छोटी सोच को दिखाता है।
3. रिश्तेदारों के सवाल
शादियों में हर लड़की या लड़के को रिश्तेदारों के सवाल से गुजरना पड़ता है, जो वाकई में काफी इरिटेटिंग होते हैं। वही रिश्तेदारों के लिए सबसे जरूरी सवाल होता है कि, अब तुम शादी कब कर रही हो ? या अब तुम्हारी बारी है। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आती शादी मेरी है लोगों को दिक्कत क्यों होती है।
शादी सिर्फ लाइफ नहीं होती शादी के अलावा भी बहुत सारी चीज होते हैं जो लड़कियां करना चाहती हैं।
4. शादी की रस्में
कुछ-कुछ शादी के रस्में बहुत एक्साइटिंग होती है, लेकिन इसका मतलब समझा जाएं तो ज्यादातर रस्में पितृसत्ता को दर्शाती है। अगर उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो कन्यादान, इसका क्या मतलब है ? हम एक जगह से शादी करके दूसरे घर जा जरूर रहे है, लेकिन हम कोई सामान नहीं है जिसे आप दान करें।
5. दहेज
21वी सदी होते हुए भी दहेज की प्रथा कायम है, जबकि ज्यादातर लोग जानते हैं कि यह किसी अपराध से कम नहीं है। दहेज दुल्हन की परिवार के ऊपर सिर्फ एक बोझ होता है। इसके कारण कई औरतों को अब्यूज और टॉर्चर किया जाता है। यहां तक कि दहेज के कारण कई मृत्यु के मामले भी सामने आए हैं।
भारतीय शादीयों की चीजें