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1. जल्दी करें शुरुवात
अपने बच्चे से उनके बॉडी के बारे में बात करने की शुरुवात आप जितनी जल्दी करेंगे ये उतना अच्छा होगा। उनसे उनके उम्र के हिसाब से जो इनफार्मेशन सही हो वो शेयर करें ताकि वो अपने बॉडी को लेकर इनसेक्योर होना छोड़ दें। जब बच्चे छोटे होते हैं तो उनको समझाना ज़्यादा आसान होता है। इसलिए प्यूबर्टी रिलेटेड बातें शेयर करने की शुरुवात उनके यंग एज से ही कर दें।
2. बच्चों को लेकर अंडरस्टैंडिंग बनें
किशोरावस्था कई बच्चों के लिए कंफ्यूसिंग हो सकता है क्योंकि इस समय बच्चे ना सिर्फ अपने बॉडी में कई तरह के चैंजेस ऑब्ज़र्व करते हैं बल्कि वो इंडिपेंडेंस और अपनी आइडेंटिटी के बारे में भी कई चीज़ें समझने लगते हैं। इसलिए इस समय में वो कई चीज़ों को लेकर अनसर्टेन हो सकते हैं। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है की अपने बच्चों को लेकर पेरेंट्स अंडरस्टैंडिंग बनें।
3. अपने इन्फॉर्मेशन पर भी काम करते रहें
अपने बच्चों को आप तब ही सही तरह से अवगत रख पाएंगे जब आपके पास खुद भी सही इन्फॉर्मेशन होगी। इसलिए प्यूबर्टी रिलेटेड हॉर्मोन्स को लेकर अपनी जानकारी पर हमेशा काम करते रहें। इस बात का भी ध्यान रखें की प्यूबर्टी के बाद लड़के और लड़कियों में अलग तरह के बॉडी चैंजेस आते हैं और एक पैरेंट के नाते ये आपके रिस्पांसिबिलिटी है की आप उन्हें इन चैंजेस के बारे में अच्छे से बताएं।
4. कुछ भी सरप्राइज एलिमेंट ना रहने दें
कई बार बच्चों के लिए कुछ बॉडी चैंजेस काफी डिस्टर्बिंग भी हो सकते हैं। इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि अपने बच्चे को उनके प्यूबर्टी रिलेटेड बॉडी चैंजेस के बारे में पहले से ही बता कर रखें। इस बता का भी ध्यान दें की हर किसी को प्यूबर्टी शामे एज में हिट नहीं करता है इसलिए अपने बच्चे को हर तरह के चैलेंज के लिए प्रिपेर्ड रखें।
5. बच्चे के डर को ख़त्म करने की करें कोशिश
ये समय बच्चों के काफी अलग होता है क्योंकि वो हर जगह सही से "फिट" होना चाहते हैं। यहाँ तक की जिन बच्चों को प्यूबर्टी लेट हिट होती है उन्हें कभी-कबार इस कारण बुलीइंग का समाना भी करना पड़ सकता है। अगर इन सबको को लेकर बच्चे में डर बैठ गया तो वो काफी घातक भी हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे के साथ हर कदम पर रहें और उन्हें इन सब बेकार की बातों से बचाने की पूरी कोशिश करें।