Women Empowerment Hindi Films: एक फिल्म की कहानी की शैली कई प्रकार की होती है जैसे कि रोमांटिक, एक्शन, रियल स्टोरी बेस्ड आदि। फिल्म में एक मर्द के रोल को काफी अहमियत दी जाती है, वह हीरो होता है और कहानी भी उसके इर्द गिर्द घूमती रहती है। जब वोमेन बेस्ड फिल्म आती है तो कम की लोग पसंद करते है, "इसमें क्या देखना"। "फेमिनिज्म का बोल-बाला होगा" आदि बयान होते है।
महिला के जीवन पर कम ही लोग फिल्में बनाने को राज़ी होते है खासकर अगर औरत लीड रोल में हो। पर समय बदल रहा है,आज बॉलीवुड में औरत की ज़िंदगी पर बनी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट हो रही है और लोग काफी पसंद भी कर रहे है। बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने वाली, औरत की ज़िंदगी को रिप्रेजेंट करने वाली कुछ पाँच जबरदस्त देखने लायक फिल्मों में बारे में बताते है।
1. मर्दानी
मर्दानी फिल्म में सीनियर इंस्पेक्ट के किरदार में एक औरत थी जिसने अपने फ़र्ज़ को पूरी लग्न से निभाया और बताया कोई भी काम मर्द और औरत के लिए बटा नहीं होता। मेहनत और लग्न से सफलता मिलती है। इस फिल्म ने औरत को मर्दानी का टैग देने के साथ और एक्शन और क्रिमिनल स्टोरी को नया मोड़ दिया। इस फिल्म में लीड रोल में एक्टर रानी मुख़र्जी थीं।
2. इंग्लिश विंग्लिश
इस फिल्म ने सिर्फ एक माँ की जर्नी को ही नहीं बल्कि फैमिली की इम्पोर्टेंस, एग्जाम और स्टूडेंट लाइफ और एक अच्छे टीचर के रवैया के बारे में दिखाया है। "किसी की इंटेलिजेंस उसके इंग्लिश बोलने से नहीं मापी जाती" यह संदेश दिया है। होममेकर के जीवन के इर्द गिर्द बनी फिल्म ने हर होममेकर को नए नज़रिए से देखने को कहा है। इस फिल्म में लीड रोल में एक्टर श्रीदेवी थीं।
3. क्वीन
अकेले हनीमून पर जाना कहे या सोलो ट्रिप? इस फैसले ने रानी के किरदार को खुद से मिलाया, खुद के लिए जीना सिखाया, खुद की ख़ुशी के लिए कुछ करना गलत नहीं बताया और साथ में समाज के पहनाए कंगन रुपी हथकड़ियों को तोड़ औरत को ज़िंदगी में क्वीन बनना बताया। इस फिल्म में लीड रोल में एक्टर कंगना रनौत थीं।
3. माँ
माँ को प्यार और त्याग की मूरत माना जाता है। वह सब कुछ अपने बच्चे पर न्योछावर करने के लिए तैयार रहती है पर जब उसके बच्चे पर कोई आंच आती है तो दुर्गा बन जाती है। ऐसे ही इस फिल्म ने माँ के संघर्ष और हर रेप केस की कहानी जिसमें विक्टिम की गवाही को अनदेखा कर दोषियों को छोड़ देना दिखाया है।
4. लिपस्टिक अंडर माय बुरखा
चार-चार अलग औरतों की ज़िंदगी के इर्द- गिर्द बनी यह फिल्म ने औरत पर शर्म, डोमिनांस, फैमिली, समाज व पति प्रेशर को बहुत नजदीक से दिखाया है। हर दिन वो लड़ रही है, बंदिशों को तोड़ने की कोशिश कर रही है, एक ब्रेक फ्री, आज़ादी की ज़िंदगी जीने की कोशिश कर सबको प्रेरित कर रही है।
5. थप्पड़
पति, दामाद को सिर पर बैठाने वाला समाज उसकी हर गलती को अनदेखा करने को तैयार रहता है जो आगे चलकर रेप, छेडछाड़ जैसे कुकर्मो को बढ़ावा दे रहा है। "सिर्फ एक थप्पड़ ही तो मारा है"। "थोड़ा सहना भी चाहिए"। "पति है तुम्हारा"। यह बातें औरत के सम्मान को दबाने के लिए नहीं है तो क्या है? इस फिल्म में लीड रोल में एक्टर तापसी पन्नू थीं।