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जानिए ऐसे 7 स्टीरियोटाइप्स जिनका अब महिलाओं ने सोसाइटी से बहिष्कार कर दिया है:
1. लड़कियों को डॉल्स से ही खेलना चाहिए
बचपन में पेरेंट्स के लिए ऐसे फैसले आगे जा कर काफी घातक साबित हो सकते हैं। जब आप लड़कियों को सिर्फ डॉल्स से ही खेलने देते हैं तो आप उसके ग्रोथ में भी बढ़ा डालते हैं। आज समय के साथ इसमें भी परिवर्तन आया है और कई लोग अपने बच्चों के लिए खिलोने चुनने से पहले इन सब के बार एमए सोचने लगे हैं।
2. लड़कियों को स्पोर्ट्स में ज़्यादा हिस्सा नहीं लेना चाहिए
इस एक स्टीरियोटाइप के कारण ना जाने कितनी लड़कियों के टैलेंट को पहचान नहीं मिल पाई है। लेकिन आज इसमें भी बदलाव हो रहा है और कई महिलाएं स्पोर्ट्स के तरफ रोज़ आगे बढ़ रही हैं। आज ऐसा कोई स्पोर्ट नहीं है जहाँ महिलाओं ने अपना परचम बुलंद ना किया हो।
3. लड़कियों का वेट कम होना चाहिए
बॉडी शेमिंग के कारण ना जाने कितनी ही लड़कियों का इस सोसाइटी ने स्वास्थ्य बिगाड़ा है। सोसाइटी के बनाये ढांचे में फिट होने के लिए कितनी ही लड़कियों ने मन मार कर ही सही पर डाइटिंग शुरू की होगी। लेकिन आज जिस तरह से बॉडी पॉजिटिविटी को हर प्लेटफार्म पर बढ़ावा दिया जा रहा है,धीरे-धीरे कई महिलाओं ने इस वेट कम रखने वाली सोच का भी बहिष्कार कर दिया है।
4. अगर महिला को बच्चे नहीं चाहिए तो ज़रूर उसमे कोई कमी है
पहले यही समझा जाता था की एक महिला का इस दुनिया में सबसे बड़ा कर्त्तव्य है मदरहुड को अपनाना और इसलिए अगर किसी को इससे आपत्ति होती थी तो ये समाज उसमें ऐब देखने लगता था। लेकिन आज महिलाओं ने मदरहुड को ऑप्शन की तरह लेना शुरू कर दिया है। ये बात इस पुरुष-प्रधान सोसाइटी को इसलिए समझ में नहीं आती है क्योंकि जब महिलाओं को चॉइस की पॉवर होती है तब वो काफी ज़्यादा स्ट्रांग हो जाती हैं और ऐसे में वो किसी के नीचे दबना नहीं चाहती हैं।
5. जिन महिलाओं के बच्चे होते हैं वो जॉब के प्रति डिवोटेड नहीं होती हैं
ये स्टीरियोटाइप महिलाओं को वर्कप्लेस में नीचा दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन आज जिस तरह से महिलाओं ने हर क्षेत्र में प्रगति की है इस स्टेरोटाईप का लगभग पूरी तरह से बहिष्कार हो गया है। अपने बच्चों को संभालते हुए आज हर फील्ड में वर्किंग मॉम्स मौजूद हैं और ये अपनेआप में ही एक अचीवमेंट है।
6. महिलाएं लीडर नहीं हो सकती हैं
हमेशा से महिलाओं को सॉफ्ट नेचर का समझा जाता है और इसलिए लोग ये मानते थें कि वो अच्छी लीडर्स नहीं बन सकती हैं। लेकिन कई महिलाओं ने ना केवल ओर्गनइजेशन्स बल्कि देशों को भी लीड करके इस धारणा को बदलने में अपना पूरा योगदान दिया है।
7. महिलाओं को इक्वल पे की क्या ज़रूरत है जब उन्हें उनके हस्बैंड्स सपोर्ट करते ही हैं
किसी काम के लिए इक्वल पे हर किसी को मिलना चाहिए। इसलिए ये स्टीरियोटाइप बिलकुल बेबुनियाद है क्योंकि किसी जगह पर पहुँचने के लिए महिलाएं अपने टैलेंट को यूज़ करती हैं ना कि अपने हस्बैंड के सपोर्ट को। इसलिए आज इक्वल पे के ऊपर काफी ज़्यादा डिस्कशन्स हो रहे हैं और अब महिलाओं ने अपने साथ हो रहे इस इनजस्टिस के खिलाफ आवाज़ उठाना भी शुरू कर दिया है।