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Dear Society: 7 बातें जिन्हें सोसाइटी ने नॉर्मलाईज़ कर रखा है

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Swati Bundela
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1. अब्यूसिव मेर्रिजेस


हमारे देश में आज भी एक अब्यूसिव मैरिज से ज़्यादा लोगों को प्रॉब्लम नहीं होती है क्योंकि सोसाइटी की नज़रों में ये नार्मल बात है। ताज्जुब की बात तो ये है कि हर मामले में दखल देने वाली इस सोसाइटी के लिए एक अब्यूसिव मैरिज पर्सनल मटर बन जाता है। हमारे यहां तो कई लोगों को अब्यूज़ के फॉर्म्स भी नहीं पता है और उनके मुताबिक जब तक अब्यूज़ फिजिकल ना हो तब तक वो अब्यूज़ कैसे हो सकता है। इस नॉर्मलाईज़ेशन के कारण रोज़ ना जाने कितने लोग परेशान हो रहे हैं।
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2. पीरियड को लेकर टैबू


हमारे सोसाइटी में अभी भी पीरियड लीव्स एक्सेप्टेबल नहीं है लेकिन पीरियड के नाम पर किसी को भी शेम करने में सोसाइटी को कोई बुराई नज़र नहीं आती है। अगर कोई महिला पीरियड लीव लेती है तो सोसाइटी में ये माना जाता है कि वो अपने महिला होने का गलत अडवांटेज ले रही है। लेकिन इस पीरियड के कारण हो महिलाओं को हो रही समस्याओं पर किसी का ध्यान जाता ही नहीं है और इसी वजह से महिलाएं पीरियड शेमिंग का हमेशा से शिकार हो रही हैं।
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3. दहेज़ प्रथा


दहेज़ तो आज भी ऐसे दिया और लिया जाता है जैसे इससे बड़ा कोई पुण्य ही नहीं है। सोसाइटी में आज भी दहेज़ के नाम लड़की के पेरेंट्स से उनका सब कुछ छीन लेने की सोच कहीं नहीं गई है। ताज्जुब की बात तो ये है कि आज भी एक लड़की को उसके ससुराल में इस बात से इम्पोर्टेंस मिलती है कि वो कितना दहेज़ लेकर आई है।
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4. पेरेंटहुड को एक कम्पल्शन बनाना


सोसाइटी की नज़रों में आपकी ज़िन्दगी तब तक पूरी नहीं होती है जब तक आप पैरेंट नहीं बन जाते हैं। जैसे ही किसी की शादी होती है उससे फैमिली प्लानिंग के सवाल पूछने शुरू कर दिए जाते हैं। सोसाइटी को इस बात को नॉर्मलाईज़ करने में कोई हिचक नहीं लेकिन ये एडॉप्शन को नॉर्मलाईज़ नहीं कर सकती है।
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5. कन्यादान करना


आज भी सोसाइटी की नज़रों में लड़कियों को बोझ समझा जाता है और इसलिए शादियों में कन्यादान से बढ़ा कोई ट्रेडिशन नहीं होता है। लोग तो आज भी यही मानते हैं कि जो पेरेंट्स
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कन्यादान करते हैं उन्होंने अपने जीवन में इससे बढ़ा और कोई पुण्य कमाया ही नहीं है। सोसाइटी को इस बता से कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक लड़की कितनी एड्यूकेटेड है, उनके लिए तो कन्यादान ही सब कुछ है। इसलिए आज भी ये पुरातन प्रथा नॉर्मलाइज़्ड है।

6. अनइक्वल पे स्केल

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सोसाइटी में आज भी मेन और वुमेन के पे स्केल में बहुत बड़ा अंतर है और इसके तरफ किसी का ध्यान इसलिए नहीं जाता है क्योंकि उसे नॉर्मलाइज़्ड किया गया है। आज भी चाहे मेन और वीमेन का काम कितना भी सेम हो उनके पे स्केल में इनक्वॉलिटी काफी ज़्यादा है।

7. लोगों को सोशल मीडिया पर ट्रोल करना


आज सोशल मीडिया के दौर में टॉक्सिसिटी के कई नए मेथड्स आ गए हैं जिनमें से प्रमुख है सोशल मीडिया पर लोगों को ट्रोल करना। ये लोगों को डिफेम करने का सबसे आसान तरीका बन गया है क्योंकि इसमें किसी डिफेम करने वाले की आइडेंटिटी भी डिस्क्लोज़ नहीं होती है। इन ट्रॉल्स को जल्दी कोई सीरियसली इसलिए भी नहीं लेता है क्योंकि सोसाइटी में डिफेमेशन को पहले से ही नॉर्मलाईज़ किया गया है।
#फेमिनिज्म सोसाइटी
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