अक्सर फिल्मों में यह डायलाग अवश्य सुना होगा जहाँ मेल लीड फीमेल को कॉम्प्लिकेटेड कहते है। धीरे धीरे यह धारणा बन गयी कि औरत को कोई नहीं समझ सकता। सभी महिलाओं को लेकर सोसाइटी के दिमाग में बैठ गया कि वह बहुत कॉम्प्लिकेटेड होती है, कभी हां कहती कभी ना कहती है, ज़िद्दी होती है, उनकी ना में हां होती है, बचकाना बर्ताव करती है, मूड का कुछ पता नहीं चलता इत्यादि पर गौरतलब है यह बातें बोलने में लोगों को ज़्यादा वक्त नहीं लगता न ही जज करने में पर क्या फर्क पड़ता है?
औरत तो बनी ही है लोगों द्वारा जज करने के लिए भले वो जाने अनजाने में किया गया हो या जानबूझकर। आइए आज इन प्रेडेटर्मीनेड थॉट्स के पीछे जाते है और समझने की कोशिश करते है क्या यह सच में सही है?
1. नखरे दिखाती है
कपड़े हो या कुछ और एक से ज़्यादा चॉइस कंफ्यूज सबको करती है पर जब लड़की को इन सबको लेकर कन्फ्यूजन की बात आती है तो वह नखरे दिखाती है, घुमाती है, बस लोगों, दुकानदारों को परेशान करने के लिए ऐसा करती है- ऐसा कहा जाता है। कंफ्यूज होना, डाउट होना तो नार्मल है फिर लड़की के मामले में बड़ा चढ़ाकर क्यों बोला जाता है?
2. हां या ना का चक्कर
"लड़की की हाँ में ना होती है और ना में हाँ" यह फेमस डायलाग हमें बॉलीवुड ने दिया है। यह वाक्य जितना गलत है, कंसेंट पर सवाल उठाता है, जबरदस्ती को बढ़ावा देता है उसी के साथ लड़कियों पर लगी बंदिशों की तरफ इशारा करता है। किसी चीज़ को लेकर ना कहने के कई कारण है और उसकी रिस्पेक्ट करना मैंन है न कि ऐसी गलत धारणाएं बनाना।
3. मूड स्विंग्स
पीरियड्स के दर्द के साथ अब मूड स्विंग्स का भी मजाक उड़ाया जाने लगा है। अगर लड़की गुस्सा ज़्यादा कर रही है तो "पीरियड्स होंगे" कहना काफी जजमेंटल है। एक नार्मल ह्यूमन का गुस्सा करना, सिचुएशन से इर्रिटेट होना जायज़, यह नार्मल ह्यूमन बेहेवियर है पर लड़की की बात आती है तो कुछ लोगों को डाइजेस्ट नहीं होता।
4. बात ना सुनना
"लड़किया कभी किसी की नहीं सुनती, हमेशा अपने मन की करती है" यह राय ज़्यादातर लोग तब बनाते है जब एक औरत दूसरों से अलग अपना ओपनियन रखती है। बाकि लोगों की तरह अपनी बात रखना गलत नहीं है पर जिन लड़कियों को चुप रहने के लिए कहा गया हो, जब वह जवाब दे तो हैरानी के साथ लोगों को यह बात चुबती ज़रूर है।
5. हमेशा फेमिनिज्म की बात करना
"क्या यार हर तरफ नारीवाद, इतना क्या तुम लोगों के साथ अन्याय हो रहा है?" जब भी इन-डायरेक्टली किए गए भद्दे व इनएप्रोप्रिएट कमैंट्स के खिलाफ खड़े होने की बात आती है तो लोग यह कहकर चुप करा देते है। ज़्यादातर लोगो को जो नार्मल लगता है ज़रूरी नहीं सबके लिए नार्मल हो।