बच्चे को गर्भ में संस्कार देने के तरीके - गर्भ संस्कार यानी गर्भ में ही बच्चे को संस्कार या ज्ञान देना। मॉर्डन ज़माने की चकाचौंध में हम संस्कारों का महत्व भूलते जा रहे हैं। गर्भ संस्कार हिन्दू धर्म के उन सोलह संस्कारों में से एक है|बारे में जानकारी होना हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है। मनुष्य का पहला संस्कार ‘गर्भ संस्कार’ होता है और आखिरी संस्कार को ‘अंतिम संस्कार’ के नाम से जाना जाता है।
जानिए बच्चे को गर्भ में संस्कार कैसे दें (bacche ko garbh me sanskar dene ke tarike)?
1. आध्यात्मिक ज्ञान
गर्भ में पल रहा बच्चा मात्र एक मांस का टुकड़ा नहीं होता बल्कि वो बाहर हो रही हर गतिविधियों (Activities )को भी महसूस करता है। ऐसे में माता-पिता की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो बच्चे के लिए ऐसा माहौल पैदा करें जो बच्चे को कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक (Enlightening ) सिखाएं। इसके लिए बच्चे को साहित्य और भगवान से सम्बन्धित ज्ञान और कहानियां सुनानी चाहिए या माँ को इन्हे पढ़ना चाहिए। इस आध्यात्मिक ज्ञान से शिशु न केवल अपनी संस्कृति के बारे में जानेगा बल्कि उसमे भक्ति व धार्मिक गुण भी पैदा होंगे।
2. पॉजिटिव माहौल
पॉजिटिव माहौल गर्भ संस्कार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए यह भी जरूरी है कि माता और पिता दोनों का मन खुश हो और साथ ही आपके आसपास के लोग भी प्रसन्नचित रहे। आसपास के लोगों के लिए भी गर्भवती स्त्री को प्रसन्न रखना जरूरी होता है। अगर आप या आपके आसपास का माहौल निराश से भरा होगा तो आपके बच्चे का व्यवहार भी वैसा ही होगा। अगर माता-पिता में से कोई भी शारीरिक या मानसिक रूप से खुश नहीं है तो ऐसे में उन्हें बच्चे के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि उनकी इस स्थिति का असर होने वाले बच्चे पर भी पड़ता है।
3.आहार
अगर होने वाले बच्चे के मन में आप संस्कार का बीज बोना चाहते हैं तो होने वाली माता के आहार पर भी ध्यान देना आवश्यक है। हमेशा पौष्टिक आहार का सेवन करें। इसके साथ ही माता-पिता का सात्विक होना भी बेहद जरूरी है। माता-पिता को तीखे, मसालेदार भोजन, नशे या अन्य ऐसे ही पदार्थों से दूर रहना चाहिए, इसके बाद ही वो बच्चे में अच्छे संस्कार डाल सकते हैं।
4.योग और अभ्यास
गर्भावस्था में योग करने से होने वाला बच्चा शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ होता है। इसके लिए योग या ध्यान करें व अपने आपको व्यस्त रखें। योग या अभ्यास करने से गर्भवती स्त्री को तनाव से मुक्ति मिलती है और वो खुश रहती है। जब माँ खुश रहेगी तो गर्भ में पल रहा बच्चा भी खुश रहेगा।
5. बच्चे के साथ बातचीत
गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ जब माता बातचीत करती है, उससे हर विचार बांटती है या प्यार से पेट पर हाथ फेरती है तो यह सब बच्चे को महसूस होता है। ऐसा करने से बच्चे और माता का रिश्ता मजबूत होता है और साथ ही बच्चे में बातचीत के गुण भी विकसित होते हैं। इससे बच्चे का हृदय प्रेम और स्नेह से भरा रहेगा जिससे वो सबसे प्रेम करेगा। बच्चे को गर्भ में संस्कार देने के तरीके