पीयर प्रेशर यानी कि फ्रेंड सर्कल्स का इम्पैक्ट या प्रेशर | कई बार बच्चे अपने ग्रुप के फ्रेंड सर्कल्स की तरह दिखने या कूल शो करने के लिए जाने-अंजाने में दूसरों की देखादेखी करने लगते हैं |कई बार माता-पिता भी बच्चों की तुलना (Comparison ) उनके फ्रेंड्स से करते हैं | स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर अक्सर एग्जाम में अपने फ्रेंड्स से ज्यादा मार्क्स लाने का प्रेशर होता है | कई बार बच्चे इस बात से भी इन्फ्लुएंस्ड हो जाते हैं कि हर कोई ऐसा कर रहा है तो हमें भी करना चाहिए|
ऐसे में बच्चे चीजों या लोगों से इन्फ्लुएंस्ड होकर फैसला लेना लगते हैं जिसके कई बार नेगेटिव और पॉजिटिव इफेक्ट्स हो सकते है| इसके अलावा आजकल बच्चे टीवी, इन्टरनेट और सोशल मीडिया की भी कॉपी करने लगे हैं | लेकिन अगर आप बच्चा कुछ शांत है या अचानक से आपको ये लगे कि उसने किया था इसलिए मैंने भी ऐसा ही किया या ये कूल है, सब करते हैं, ऐसा कहने लगे तो सावधान हो जाएं |आपका बच्चा पीयर प्रेशर से गुजर रहा है |
बच्चों को पीयर प्रेशर से बचाने के लिए टिप्स
1. इन्टरनेट टाइम लिमिट बनाएं
अपने बच्चे के टीवी और इंटरनेट के कांटेक्ट में कम से कम आने दे| चाहें तो एक टाइम लिमिट बना दें |बच्चों को क्रिएटिव कामों में बिजी करें| उन्हें परिवार, स्कूल का काम जैसे काम करने की आदत डालें|
2. बच्चे पर रखें छिपी नज़र
आपका बच्चा मोबाइल पर या सिस्टम पर क्या देख रहा है| क्या डाउनलोड कर रहा है|कैसे वीडियो गेम्स खेल रहा है| इस बात का ख़ास ख़याल रखें| आप चाहें तो बच्चे की ब्राउज़िंग हिस्ट्री से उसकी इन्टनेट सर्च का पता लगा सकते हैं| उसके व्हट्सएप, फेसबुक और फ्रेंड लिस्ट पर भी नजर रखें |अगर आप उसके दोस्तों से भी थोड़ा कांटेक्ट रख सकें तो बेहतर रहेगा |
3. बच्चों से बातें करें
जब आप बच्चे के साथ टीवी टाइम शेयर करें तो उस दौरान उन्हें फॅमिली वैल्यूज के बारे में बताएं|और उन्हें एहसास कराएं कि आप उनके दोस्त हैं |और वो आपसे कुछ भी शेयर कर सकते हैं| जब बच्चा आपसे कुछ शेयर करें तो जजमेंटल न हों बल्कि ध्यान से उसकी बात सुनें और दोस्ताना तरीके से उसे समझाएं|
4. सही और गलत का अंतर समझाएं
कई बार टीवी या स्कूल में दोस्तों की देखादेखी कूल बनने के चक्कर में बच्चे अक्सर सिगरेट, शराब और ड्रग्स का सेवन करने लगते हैं |और आगे जाकर उन्हें इनकी लत लग जाती है| ऐसे में बेहद जरूरी है कि आप बढ़ते बच्चों से बातचीत करें और उन्हें सही और गलत के बीच अन्तर करना सिखाएं | उन्हें अपनी सेहत के कॉन्ससियस रहना सिखाएं|
5. यूनीकनेस की तारीफ करें
बच्चे कूल बनने की कोशिश करें इससे पहले ही उन्हें बताएं कि वो कितने ख़ास हैं| बच्चों को लॉजिक से फर्क मिटाना सिखाएं|इसके साथ ही उन्हें खुद को एक्सप्रेस यानी कि व्यक्त करना सिखाएं ताकि वो कभी प्रेशर में ना आएं |