अधिकांश बेटे घर से ही सीखतें हैं कि लडकियां लड़को से कम होती हैं। बच्चे के दिमाग पर हर एक चीज़ की एक छाप छूट जाती है चाहें वो पापा का मम्मी पर चिल्लाना हो या दादी का मम्मी को हमेशा कम समझना। अगर आप अपने बेटे को उसकी बहन की रिस्पेक्ट करना सिखाना चाहते हो ऐसे में जरुरी होता है की घर के बड़े लोग ध्यान रखें और लिमिट्स/दायरा तय करें की बच्चे के सामने क्या करना है और क्या नहीं। ऐसे ही कुछ बातें जिन को ध्यान मे रख कर आप बेटे को अपनी बहन की रिस्पेक्ट करना सीखा सकतें हैं।
बहन भाई दोनो को रिस्पेक्ट देकर बात करें
अगर आप अपने बेटे को उसकी बहन की रिस्पेक्ट करना सिखाना चाहते हो तो पहले आपको रिस्पेक्ट देना सीखना होगा। हमेशा याद रखें की आप आपके बच्चों में कई भेद भाव तो नहीं कर रहें हैं। भेद भाव केसा भी हो सकता है जैसे की बहन से ज्यादा घर का काम करवाना या फिर भाई का पहले खाना खाना। ये छोटी छोटी बातों से भी बहुत फर्क पढता है इसलिए ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है।
संगति पर ध्यान दें
घर में क्या हो रहा है ये तो आप देख लेते होंगे पर कई बार ऐसा होता है की बच्चा बाहर से ख़राब हरकते और आदतें सीख कर आ जातें हैं। इसलिए नोटिस करें कि आपका बेटा किन लोगों के यहाँ जाता है उनके बच्चे कैसे हैं और उस दौरान आपके बेटे के स्वाभाव मे क्या फर्क आता है।
एक्वालिटी के बारें में बात करें
जब भी आपका बेटा और बेटी थोड़े बड़े हो जाएं तो उनको साथ में बैठा कर समझाएं कि लड़का लड़की सब एक बराबर होतें हैं। अगर आप अपने बेटे को उसकी बहन की रिस्पेक्ट करना सिखाना चाहते हो तो घर के और खुद के पर्सनल काम करना सिखाएं और - इस से वो फ्यूचर में भी हर फीमेल की रिस्पेक्ट करेगा।