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सनी गिल (फरहान अख्तर)
फिल्म दिल धड़कने दो में फरहान एक straight forward journalist का रोल प्ले कर रहे हैं। फरहान जो एक फेमिनिस्ट भी हैं वो फिल्म की हीरोइन आयशा को बहुत पसंद करते हैं और उनका कैरक्टर वीमेन एम्पावरमेंट (women empowerment ) को भी सपोर्ट करता है वह आयशा के पति मानव (राहुल बोस) को एक सीन में यह कहते हुए भी नज़र आते हैं की किसी भी महिला को अपने फैसले लेने के लिए किसी की इजाज़त की ज़रूरत नहीं है। हर महिला अपने खुद के फैसले लेने में हर तरीके से सक्षम होती है।
कबीर, की एंड का
जेंडर रोल्स को बदलते हुए, कबीर (अर्जुन कपूर) ने की एंड का में हर लड़की का दिल छू लिया। यह कैरक्टर महिलाओं द्वारा किए जाने वाले 'डबल शिफ्ट्स' के बिलकुल अपोजिट है। वह हाउसवाइफ के द्वारा की गई अनपेड जॉब्स के लिए उन्हें रेस्पेक्ट दिलवाने की कोशिश करता है। वह जेंडर इक्वलिटी के लिए आवाज़ उठाता है और वह घर पर रहता है जबकि उसकी पत्नी बाहर पैसे कमाती है।
साहिल मिर्ज़ा, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा में साहिल मिर्ज़ा (राजकुमार राव) का कैरेक्टर एक प्लेराइटर का था जो शुरआत में तो किसी भी दूसरे पुरुष कैरेक्टर की तरह था। जब उसे स्वीटी (सोनम कपूर) की सेक्स आइडेंटिटी के बारें में पता चला तो उसने स्वीटी को उसकी पहचान दिलवाने में मदद की।
अमोल, छपाक
फिल्म छपाक एसिड अटैक जैसे घिनोने अपराध के बारे में जागरूकता लाने के ऊपर बनी है। अमोल (विक्रांत मैसी) फिल्म का मेल कैरेक्टर है जो मालती (दीपिका पादुकोण) से उसकी सुंदरता की परवाह किये बिना प्यार करता है। बॉलीवुड में शायद ही कोई फिल्म सुंदरता के विषय पर सवाल उठाती होगी पर यह बहुत ही अनोखी और सबसे अलग फिल्म थी। अमोल मालती के साहस और निडर स्वभाव के लिए उसे पसंद करता है।
लक्ष्मीकांत, पैडमैन
मेंस्ट्रुएशन भारतीय समाज में बहुत सी रूढ़ियों से घिरा हुआ है। जब भी मेंस्ट्रुएशन के बारे में बात की जाती है तो इस पर पूरी तरह से चुप्पी होती है। इसलिए, लक्ष्मीकांत (अक्षय कुमार) का कैरेक्टर इस बातचीत को शुरू करने का एक प्रयास है। वह एक खुले विचारों वाला व्यक्ति है जो सामाजिक रूढ़ियों से परे जाकर मेंस्ट्रुएशन के बारे में लोगों के बीच जागरुकता फैलाता है। बॉलीवुड फेमिनिस्ट पुरुष