New Update
कोविड के सेकंड वेव के कारण हमारे देश में कई लोगों की मृत्यु हुई है। फ्रंट लाइन वर्कर्स के साथ-साथ कोविड पॉजिटिव पेशेंट्स की मृत्यु दर में भी इस सेकंड वेव के कारण बहुत इजाफा हुआ है। इसी समय में कोरोना के कारण बहुत सारे बच्चों का भी अपने माता पिता से साथ छूट गया है। इन बच्चों के अनाथ होने के बाद का सफर अब बहुत कठिन हो गया है। ऐसे में सरकार से इन बच्चों ने अपनी सारी उमीदें लगाई है।
कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों में कई अभी भी इस बात को समझने में सक्षम नहीं है की आखिर उनके माता पिता को हुआ क्या था। कई बच्चों ने ये भी बताया की उनके माँ-बाप को सांस लेने में समस्या हो रही थी और इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता उनकी मौत हो गई। भारत में हेल्थ केयर के बढ़ते बिल्स के मद्देनज़र अब इन बच्चों को अपना ख्याल कैसे रखें ये समझ में नहीं आ रहा है। कई बच्चे अपने रिश्तेदारों की दया पर हैं लेकिन इनकम का कोई सोर्स ना होने के कारण अब उनकी स्तिथि गंभीर होती जा रही है।
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन राइट्स (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे एक एफिडेविट में बताया की इस वायरस से अब तक 9346 बच्चे अनाथ हो चुके हैं जिनमें से 1700 ने अपने दोनों माँ-बाप खो दिए हैं। एनसीपीसीआर ने बताया की इन बच्चों की मदद करने के लिए सबसे पहले इन बच्चों की सही से आईडेंटिफिकेशन ज़रूरी है ताकि उस हिसाब से बच्चों तक आर्थिक मदद पहुंचाई जा सके। बच्चों की सही सुरक्षा के लिए एनसीपीसीआर ने बहुत सी गाइड लाइन्स जारी किए हैं।
कोरोना के कारण अफेक्टेड हुए बच्चों की मदद करने के लिए सरकार ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अंतर्गत सभी राज्यों, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स, पुलिस, पंचायती राज इंस्टीटूशन्स और अर्बन लोकल बॉडीज को इन् बच्चों की मदद करने के लिए कहा गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में इन बच्चों के प्रति लिए जा रहे एक्शन को और स्ट्रीमलाइन्ड करने के लिए कहा है ताकि सभी बच्चों तक ज़रूरी सुविधएं पहुंचाई जा सकें।
कई बच्चों को कुछ समझ नहीं आ रहा है
कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों में कई अभी भी इस बात को समझने में सक्षम नहीं है की आखिर उनके माता पिता को हुआ क्या था। कई बच्चों ने ये भी बताया की उनके माँ-बाप को सांस लेने में समस्या हो रही थी और इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता उनकी मौत हो गई। भारत में हेल्थ केयर के बढ़ते बिल्स के मद्देनज़र अब इन बच्चों को अपना ख्याल कैसे रखें ये समझ में नहीं आ रहा है। कई बच्चे अपने रिश्तेदारों की दया पर हैं लेकिन इनकम का कोई सोर्स ना होने के कारण अब उनकी स्तिथि गंभीर होती जा रही है।
एनसीपीसीआर ने सुप्रीम कोर्ट को भेजा है एफिडेविट
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन राइट्स (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे एक एफिडेविट में बताया की इस वायरस से अब तक 9346 बच्चे अनाथ हो चुके हैं जिनमें से 1700 ने अपने दोनों माँ-बाप खो दिए हैं। एनसीपीसीआर ने बताया की इन बच्चों की मदद करने के लिए सबसे पहले इन बच्चों की सही से आईडेंटिफिकेशन ज़रूरी है ताकि उस हिसाब से बच्चों तक आर्थिक मदद पहुंचाई जा सके। बच्चों की सही सुरक्षा के लिए एनसीपीसीआर ने बहुत सी गाइड लाइन्स जारी किए हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव ने सभी राज्यों को लिखे पत्र
कोरोना के कारण अफेक्टेड हुए बच्चों की मदद करने के लिए सरकार ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अंतर्गत सभी राज्यों, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स, पुलिस, पंचायती राज इंस्टीटूशन्स और अर्बन लोकल बॉडीज को इन् बच्चों की मदद करने के लिए कहा गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में इन बच्चों के प्रति लिए जा रहे एक्शन को और स्ट्रीमलाइन्ड करने के लिए कहा है ताकि सभी बच्चों तक ज़रूरी सुविधएं पहुंचाई जा सकें।