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स्कूल कॉलेज से बनता है। जिनके साथ दुनिया में रहना है उनके साथ ही पढाई भी करनी चाहिए। इसलिए आज हम बात करेंगे को-एजुकेशन क्यों है बेहतर के बारे में -
जब लड़के और लडकियां एक साथ पढ़ते हैं तो वो दोनों जेंडर मेल और फीमेल को अच्छे से समझ पाते हैं। किसी को भी सम्मान देने के लिए उनको जानना जरुरी होता है। जब बच्चे साथ में पढ़ते हैं तो उन्हें करीब से सब चीज़ें समझने का मौका मिलता है जो की उनकी आगे की लाइफ में काम आती हैं।
जो लडकियां लड़कियों के स्कूल में पढ़ती हैं वो लड़को के प्रति इतना सुरक्षित महसूस नहीं करतीं और उन में हमेशा के लिए एक हिचक आ जाती है। इस से लडकियां लड़को के सामने अच्छे से खुल नहीं पाती हैं और इस से उन के काम पर भी बहुत फर्क पड़ता है।
बॉयज और गर्ल्स स्कूल में बच्चों को ड़ालकर उनके बीच एक दीवाल खड़ी कर दी जाती है जो कि असल ज़िन्दगी में नहीं होता है। चाहे परिवार हो या ऑफिस हर जगह महिलाएं और पुरुष दोनों ही होते हैं। इसलिए पढाई के वक़्त भी दोनों का होना ज़रूरी होना चाहिए।
को-एजुकेशन इसलिए भी बेहतर होती है क्योंकि पढाई सिर्फ किताबी नहीं होती है। जब बच्चा स्कूल कॉलेज जाता है तो उसका व्यक्तिगत विकास भी होता जो कि को-एजुकेशन में बेहतर तरीके से हो पाता है। इस से दोनों जेंडर में बराबरी भी बरक़रार रहती है।
1. एक दूसरे का सम्मान
जब लड़के और लडकियां एक साथ पढ़ते हैं तो वो दोनों जेंडर मेल और फीमेल को अच्छे से समझ पाते हैं। किसी को भी सम्मान देने के लिए उनको जानना जरुरी होता है। जब बच्चे साथ में पढ़ते हैं तो उन्हें करीब से सब चीज़ें समझने का मौका मिलता है जो की उनकी आगे की लाइफ में काम आती हैं।
2. खुल जाते हैं
जो लडकियां लड़कियों के स्कूल में पढ़ती हैं वो लड़को के प्रति इतना सुरक्षित महसूस नहीं करतीं और उन में हमेशा के लिए एक हिचक आ जाती है। इस से लडकियां लड़को के सामने अच्छे से खुल नहीं पाती हैं और इस से उन के काम पर भी बहुत फर्क पड़ता है।
3. असल ज़िन्दगी से दूरी
बॉयज और गर्ल्स स्कूल में बच्चों को ड़ालकर उनके बीच एक दीवाल खड़ी कर दी जाती है जो कि असल ज़िन्दगी में नहीं होता है। चाहे परिवार हो या ऑफिस हर जगह महिलाएं और पुरुष दोनों ही होते हैं। इसलिए पढाई के वक़्त भी दोनों का होना ज़रूरी होना चाहिए।
4. को-एजुकेशन बेहतर
को-एजुकेशन इसलिए भी बेहतर होती है क्योंकि पढाई सिर्फ किताबी नहीं होती है। जब बच्चा स्कूल कॉलेज जाता है तो उसका व्यक्तिगत विकास भी होता जो कि को-एजुकेशन में बेहतर तरीके से हो पाता है। इस से दोनों जेंडर में बराबरी भी बरक़रार रहती है।