क्या आपको याद है आपके स्कूल का पहला दिन ? आपके स्कूल का पहला दोस्त ? आपकी क्लास टीचर्स ? आपके स्कूल का प्लेग्राउंड? साल 2020 में महामारी (कोरोना वायरस) आयी जिसने ये सारी चीज़ें आजकल के बच्चों के लिए बदल कर रख दी। कोरोना वायरस का बच्चों पर असर बहुत गहरा हुआ है। COVID-19 का बच्चों पर असर
छोटे-छोटे बच्चे घरों में बंद हो गए। बच्चे जयादा लोगों से मिल नहीं रहें है उनकी सोशल लाइफ और ग्रोथ पर नेगेटिव प्रभाव पढ़ने लगा है। छोटे बच्चों की उम्र जिज्ञासा से भरी होती है और इस जिज्ञासा के कारण वो नईं चीज़ें सीखतें हैं। बच्चे इस उम्र में चीज़ों को बहुत स्पीड से सीखते है इसलिए उन्हें नर्सरी क्लास मे डाला जाता है जिससे उनकी सोशल ग्रोथ होती है।
क्या कर सकतें है ?
छोटे बच्चों के लिये ज़ूम मीटिंग्स एंड वीडियो कॉल काफी अलग और नया अनुभव रहता है। बच्चे मिस करतें हैं स्कूल मे अपनी उम्र के बच्चों मे रहना, दादा दादी और टीचर्स से मिलना क्योंकि उनको नहीं समझ की अचानक से सब कहा चले गए है । बच्चो का सोशल इंटरेक्शन बहुत ही सीमित हो गया है जिससे उनकी ग्रोथ मे रुकावट पैदा हो रही है।
हम बड़ों का वहीं सेम काम ज़ूम कॉल्स और इलेक्ट्रानिकली घर से हो सकता है पर बच्चों के लिए अब वो बात नहीं है और बच्चे इलेक्ट्रानिकली इतना एन्जॉय भी नहीं करते हैं जितना वो फिजिकली करतें हैं।ये लॉकडाउन का समय खास तौर पर उन बच्चों के लिए जो शाय हैं या जिनको न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर्स काफी कठिन हैं क्योंकि इनका ट्रीटमेंट छोटी उम्र से चालू हो जाता है और सामाजिक बातचीत इसका मुख्या हिस्सा होता है।
इस समय मे पेरेंट्स ध्यान रखें की कोरोना वायरस खतम होते ही आपके बच्चों को वो सारी चीज़ें मिलें जो वो घर रह कर नहीं करपाए हैं।सरकार को भी ऐसी कुछ स्पेशल प्रोग्राम्स लाने चाहिए जिनसे बच्चों की फिजिकल एंड मेन्टल ग्रोथ में हेल्प हो। अकेलेपन से हर उम्र के लोगों की मेन्टल हेल्थ एंड वेल बीइंग पर असर पड़ता है इसलिए ऐसा कोई प्रोग्राम लाना ज़रूरी है। COVID-19 का बच्चों पर असर