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कोर्ट मैरिज धार्मिक विवाहों से अलग होती है। इसके लिए किसी पंडित की ज़रूरत नहीं पड़ती। कोर्ट मैरिज, मैरिज ऑफिसर के सामने कोर्ट में होती है, बस इसके लिए दोनों पार्टनर्स को आवेदन देना पड़ता है। ये शादियाँ स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत होती हैं। इनमें किसी भी तरह का ताम झाम नहीं होता बस दो लोगों का उपलब्ध होना ज़रूरी है। भारत में लोग कोर्ट मैरिज करने से बचते हैं, ज़्यादातर लोग ग्रैंड शादियाँ करना पसंद करते हैं जबकि कोर्ट मैरिज कई मायनों में ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है।
बड़ी शादी मतलब पैसों की बर्बादी। कई पेरेंट्स बच्चों के पैदा होते ही उनकी शादी के लिए पैसे बचाने लग जाते हैं और कुछ तो लोन तक ले लेते हैं। ज़िंदगी भर के बचाए हुए पैसे एक रात में पानी की तरह बहा देना क्या ठीक बात है? इन्ही रूपयों का सदुपयोग करके किसी अनाथ आश्रम में डोनेट करना या अपने बुढ़ापे के लिए बचा कर रखना ज़्यादा अच्छा है।
कोर्ट मैरिज करने से इन पैसों की बचत होती है क्योंकि कोई मैरिज हॉल बुक करने या 4 तरह ही लाइट्स लगवाने की ज़रूरत ही नही पड़ती।
कोर्ट मैरिज का सबसे बड़ा फ़ायदा है कि इसमें केवल वही लोग आएँगे जो सच में आपके करीबी हैं, जिनका होना आपके लिए मायने रखता है। आपको कटपुतली की तरह ये सोचते हुए चुप-चाप नहीं बैठना पड़ेगा कि सामने बैठी ऑन्टी आपके बारे में क्या सोचेंगी। आप अपनी शादी अपने ख़ास लोगों के साथ इंजॉय कर सकेंगे।
परंपरागत शादी की रस्में कितनी पितृसत्तात्मक हैं ये तो आपको पता ही है। कन्यादान से लेकर बिदाई तक, हर रस्म ये बताने में लगी रहती है कि लड़की के जीवन का सोल पर्पज़ शादी है और शादी में लड़की की वैल्यू लड़के से कम है। ऊपर से टाइम की भी बहुत खपत होती है। शादी इतनी लम्बी हो जाती है कि दुल्हा दुल्हन ख़ुद ही थक जाते हैं। इन सभी चीज़ो से बचने का कोर्ट मैरिज एक अच्छा उपाय है।
शादी में पेरेंट्स सभी रिश्तेदारों को बुला लेते हैं, जिनमें से बहुत तो ऐसे होते हैं जिनसे हम पहली बार अपनी शादी में ही मिलते हैं। पार्टनर के रिश्तेदारों को तो हम वैसे भी नहीं जानते। ये सब लोग शादी में मालिकाना हक दिखाने में लगे रहते हैं, कभी कोई फूफा नाराज़ हो जाएँगे तो कभी जीजा। इन रिश्तेदारों की ज़रूरतें पूरी करने में ही पेरेंट्स का दम निकल जाता है।
ऐसे जजमेंटल और परेशान करने वाले रिश्तेदारों को ना बुलाना पड़े, इसके लिए कोर्ट मैरिज करिये। शादी आपकी है तो आपके इर्द गिर्द घूमनी चाहिए, रिश्तेदारों के इर्द गिर्द नहीं। वैसे भी इनका काम ही है कमी निकालना, इन्हें खुश करना असम्भव है।
शादी में भारी मात्रा में खाना बनता है। लोग जितना खाते नहीं हैं, उतना फ़ेक देते हैं। ये खाना बनाने वालों की मेहनत का मज़ाक उड़ाने जैसा है। जो खाना शादी में वेस्ट हो जाता है, वो कितने गरीबों का पेट भर सकता है। शादी में खाना बर्बाद करने से अच्छा ऐसे लोगों को खिलाया जाए जिनके नसीब में दो वक़्त का खाना नहीं होता। वैसे भी जिन लोगो के लिए खाना बनाया जाता है वो तो इसमें कमी निकालने ही बैठे रहते हैं।
आइये देखते हैं कोर्ट मैरिज करने के क्या फ़ायदे होते हैं ( court marriage ke fayde)
1. पैसों की बचत होगी
बड़ी शादी मतलब पैसों की बर्बादी। कई पेरेंट्स बच्चों के पैदा होते ही उनकी शादी के लिए पैसे बचाने लग जाते हैं और कुछ तो लोन तक ले लेते हैं। ज़िंदगी भर के बचाए हुए पैसे एक रात में पानी की तरह बहा देना क्या ठीक बात है? इन्ही रूपयों का सदुपयोग करके किसी अनाथ आश्रम में डोनेट करना या अपने बुढ़ापे के लिए बचा कर रखना ज़्यादा अच्छा है।
कोर्ट मैरिज करने से इन पैसों की बचत होती है क्योंकि कोई मैरिज हॉल बुक करने या 4 तरह ही लाइट्स लगवाने की ज़रूरत ही नही पड़ती।
2. सिर्फ़ करीबी लोग आएँगे
कोर्ट मैरिज का सबसे बड़ा फ़ायदा है कि इसमें केवल वही लोग आएँगे जो सच में आपके करीबी हैं, जिनका होना आपके लिए मायने रखता है। आपको कटपुतली की तरह ये सोचते हुए चुप-चाप नहीं बैठना पड़ेगा कि सामने बैठी ऑन्टी आपके बारे में क्या सोचेंगी। आप अपनी शादी अपने ख़ास लोगों के साथ इंजॉय कर सकेंगे।
3. शादी की पितृसत्तात्मक रस्मों से बच सकेंगे
परंपरागत शादी की रस्में कितनी पितृसत्तात्मक हैं ये तो आपको पता ही है। कन्यादान से लेकर बिदाई तक, हर रस्म ये बताने में लगी रहती है कि लड़की के जीवन का सोल पर्पज़ शादी है और शादी में लड़की की वैल्यू लड़के से कम है। ऊपर से टाइम की भी बहुत खपत होती है। शादी इतनी लम्बी हो जाती है कि दुल्हा दुल्हन ख़ुद ही थक जाते हैं। इन सभी चीज़ो से बचने का कोर्ट मैरिज एक अच्छा उपाय है।
4. परेशान करने वाले रिश्तेदार नहीं होंगे
शादी में पेरेंट्स सभी रिश्तेदारों को बुला लेते हैं, जिनमें से बहुत तो ऐसे होते हैं जिनसे हम पहली बार अपनी शादी में ही मिलते हैं। पार्टनर के रिश्तेदारों को तो हम वैसे भी नहीं जानते। ये सब लोग शादी में मालिकाना हक दिखाने में लगे रहते हैं, कभी कोई फूफा नाराज़ हो जाएँगे तो कभी जीजा। इन रिश्तेदारों की ज़रूरतें पूरी करने में ही पेरेंट्स का दम निकल जाता है।
ऐसे जजमेंटल और परेशान करने वाले रिश्तेदारों को ना बुलाना पड़े, इसके लिए कोर्ट मैरिज करिये। शादी आपकी है तो आपके इर्द गिर्द घूमनी चाहिए, रिश्तेदारों के इर्द गिर्द नहीं। वैसे भी इनका काम ही है कमी निकालना, इन्हें खुश करना असम्भव है।
5. खाना बर्बाद नहीं होगा
शादी में भारी मात्रा में खाना बनता है। लोग जितना खाते नहीं हैं, उतना फ़ेक देते हैं। ये खाना बनाने वालों की मेहनत का मज़ाक उड़ाने जैसा है। जो खाना शादी में वेस्ट हो जाता है, वो कितने गरीबों का पेट भर सकता है। शादी में खाना बर्बाद करने से अच्छा ऐसे लोगों को खिलाया जाए जिनके नसीब में दो वक़्त का खाना नहीं होता। वैसे भी जिन लोगो के लिए खाना बनाया जाता है वो तो इसमें कमी निकालने ही बैठे रहते हैं।