दिव्या गोकुलनाथ एक टीचर और बिजनेस वूमेन हैं। वें बायजुस : द लर्निंग एप की को-फाउंडर भी हैं। उन्होंने बायजुस के ही फाउंडर, बायजू रवींद्रन से विवाह किया है। दिव्या और रवींद्रन के बेटे का नाम निश है।
शीदपीपल के साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान दिव्या गोकुलनाथ ने ये बातें कहीं
1) मिशन
दिव्या गोकुलनाथ बताती हैं कि बच्चे जिस तरीके से पढ़ते हैं उसको लेकर वे प्रभाव डालना/पैदा करना चाहती हैं। वह बताती हैं कि उनकी कंपनी अपने मिशन को लेकर बहुत ही फोकस्ड है। वे इस चीज़ की तारीफ करती है कि किस तरह बायजूस इतने फ्लेक्सिबल तरीके से इस चीज़ को एक्जिक्यूट कर पाया है।
2) फ्यूचर प्लान्स
दिव्या कहती हैं कि वे बायजूस को ग्लोबल लेवल तक ले जाना चाहती हैं। इसके लिए उनकी कंपनी ऐसे ऐप्स डेवलप कर रही है जो की वर्नाकुलर भाषाओं में हो। जिससे वे अधिक से अधिक इंडिया के डीपर रीजन्स तक पहुंच सके। वे यह भी बताती है कि पहले बायजूस के सिर्फ़ दो ही प्रोडक्ट्स थे; मैथ्स और साइंस। अब सोशल स्टडीज और इंग्लिश भी है।
3) बेसिक आइडिया
दिव्या गोकुलनाथ कहती हैं कि उनकी कंपनी का बेसिक आइडिया उनकी बाउंड्रीज को और बढ़ाना है ताकि वे बच्चों की शिक्षा में ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकें जब वे खुद-ब-खुद पढ़ाई करते हैं।
4) ऑनलाइन का बेनिफिट
दिव्या का कहना है कि जब बच्चे ऑनलाइन मोड से पढ़ाई करते हैं तब उन्हें फ्रंट रॉ सीट का बेनिफिट मिलता है। हर बच्चे को यह महसूस होता है कि टीचर सिर्फ़ उसी को पढ़ा रहा है, वन ऑन वन लर्निंग होती है।
5) ऑफलाइन का बेनिफिट
दिव्या गोकुलनाथ बताती है कि अगर बच्चे ऑनलाइन मोड़ से पढ़ते हैं तो वे कई सोशल स्किल्स और लोगों के बीच रहने को मिस कर देते हैं। वे उदाहरण देकर बताती है कि प्लेइंग इन टीम्स या आर्ट्स; आप किसी बच्चे को एक ब्रश पकड़ना ऑनलाइन नहीं सिखा सकते।
6) ब्लेंडेड लर्निंग
दिव्या का कहना है कि 12वीं तक के बच्चों के लिए ब्लेंडेड मोड ऑफ लर्निंग होनी चाहिए ताकि वें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मोड का बेस्ट पढ़ सकें।
7) पोटेंशियल फॉर टीचर्स
दिव्या कहती हैं कि यही सही समय है कि जब गोल्डन एज ऑफ टीचिंग की वापसी हो। यदि ऑनलाइन मोड में पढ़ाया जाता है तो इससे टीचर्स स्पेशली विमेन टीचर्स को ज्यादा बेनिफिट है। विमेन के लिए जब फैमिली कमिटमेंट आ जाती है तब इस मोड में पढ़ाना उनके लिए बेस्ट है।
8) मेंटोरिंग टीम
दिव्या गोकुलनाथ बताती है कि बाईजूस की मेंटोरिंग टीम में भी मेजोरिटी वुमन की ही है। वे ऐसा कहती हैं कि अधिकतर घरों में एक बच्चे की लर्निंग, ग्रोइंग, डेवलपमेंट आदि चीजों में एक महिला ही इंवॉल्व होती है। ऐसे में एक महिला बच्चों से ज्यादा अच्छी तरीके से जुड़ पाती हैं और उन्हें समझ पाती हैं।
9) डायवर्सिटी ज़रूरी है
दिव्या का कहना है कि उनकी कंपनी की फाउंडिंग टीम एक फैमिली की तरह है। वे कहती है कि लोगों को इंपॉर्टेंस देना, उन्हें साथ लेकर चलना ज़रूरी है। अगर आपकी बोर्ड मेंबर्स के पास डिफरेंट पॉइंट ऑफ व्यू एंड ऑपिनियंस होंगे तो आप एक मल्टी- डायमेंशनल अप्रोच के साथ प्रॉब्लम का हल निकाल सकेंगे।
10) मल्टी-टास्किंग अप्रोच
आखरी में दिव्या बताती है कि विमेंस को अपने लिए आर्टिफिशियल बाउंड्री बनानी ज़रूरी है। वे मानती हैं कि मल्टी-टास्किंग अप्रोच विमेंस के लिए बेनिफिशियल है पर ये कई बार उनके खुद के लिए मुश्किल साबित हो जाता है। दिव्या बताती हैं कि आप कोई भी एक काम लीजिए और तय कीजिए कि आप इस समय के लिए वही काम करेंगे और उसी को अपना 100% देंगी। फिर आप कोई और काम लीजिए और उसके साथ भी वैसा ही कीजिए।