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Diwali Without Patriarchy: दिवाली की सफ़ाई में इन चीजों को भी करें साफ

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Rajveer Kaur
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diwali without patriarchy

कुछ ही दिनों में दिवाली का त्योहार आने वाला है। सभी लोग अपने घर की सफ़ाई में लगे होंगे। कुछ ऐसे भो होंगे जिन्होंने कर भी ली होंगी। इस समय पर हम अपने घरों से पुरानी चीजें जो ख़राब हो गई या टूट चुकी है हम उन्हें  निकाल देते है। इसकी जगह पर नई चीजें लाते है और घर को सजावट करते है। आज भी लेकिन घर की सफ़ाई का बोझ सिर्फ़ औरतों पर होता है। औरत चाहे वर्किंग हो या हाउसवाइफ़ लेकिन सफ़ाई उसे ही करनी पड़ती है। मर्दों की इसमें बिल्कुल मेहनत नहीं लगती हैं। त्योहार के पकवानों से लेकर घर की सजावट तक सिर्फ़ औरतों पर ही हर चीज की जिम्मेदारी होती है।।

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जेंडर रोल और सेक्सिज़म आज भी हमारे समाज का हिस्सा हैं। यह सभ हमारी आज के समय में भी पुरानी सोच का नतीजा है। हमें इन्हें भी पुरानी चीजों की तरह घर से निकालना चाहिए। ऐसी सोच पर हमें झाड़ू लगाकर घर से बाहर फेंक देना चाहिए और नई, अच्छी, विकास वाली सोच को घर में प्रवेश करना चाहिए। हम आप को बताएँगे ऐसी चीजें जो हमें इस बार दिवाली की सफ़ाई के साथ हमें घर से फेंक देनी चाहिए-

Diwali Without Patriarchy:

1. जेंडर रोल

आज भी हमारे समाज में जेंडर रोल है कि लड़कियाँ चाहे जॉब पर भी जाती है लेकिन घर का कम उन्हें ही करना हैं। इस बार आप इनको घर से बाहर निकाल दीजिए। दोनों मर्द और औरत को मिलकर काम करना चाहिए। उनकी व्यक्तिगत पसंद हैं कि किसे कौन सा कम करना है। ऐसे किसी पर कुछ थोपा नहीं जाना चाहिए।

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2. घरेलू हिंसा

आज भी महिलाएँ घरेलू हिंसा का शिकार होती है। पति की तरफ़ से कभी दहेज ना देने के कारण, कभी किसी और कारण पत्नी की मारपीट की जाती हैं। इसके अलावा भाई भी अपनी बहनों को दबाकर रखते है। उन्हें मरते पीटते है। इस दिवाली आप इस सोच को ख़त्म करो क्योंकि किसी को मारना एक अपराध है।

3. घर का खर्च सिर्फ़ मर्दों की ज़िम्मेदारी

इस दिवाली इस सोच का भी ख़ात्मा होना चाहिए कि घर का खर्च उठाना सिर्फ़ मर्दों की ज़िम्मेदारी हैं। सभी परिवार को मिलकर उनका साथ देना चाहिए। अगर कई बार कुछ चीजें उनसे शूट जाती जाती है इसमें उनको गिल्टी महसूस कराने की ज़रूरत नहीं हैं।



4. माँ का हर चीज़ में पर्फ़ेक्ट होना

इस दिवाली आप अपनी माँ प्रति नज़रिया बदले। इसका मतलब यह नहीं है कि अगर वे माँ उसे हर चीज़ में पर्फ़ेक्ट होना है बच्चे सम्भालने में, घर की देखभाल में, ऑफ़िस में। वह भी इंसान है उसे देवता मत बनाओ। एक कोशिश ज़रूर करो कि वे खुश रहे क्योंकि अगर वे खुश है तो सभी सारा परिवार खुश होगा।

5. शादी

शादी को लेकर हमें अपना नज़रिया बदलना होगा। शादी के लिए किसी पर प्रेशर डालना जीवन में बाधा बन सकता है। ख़ासकर औरतों पर प्रेशर बनाया जाता है। बाद में शादी कर दी जाती है जिससे वह अपने पति पर निर्भर हो जाती है क्योंकि घरवालों ने शादी के चक्कर में उसे आगे कुछ करने नहीं दिया।

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