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तो आइये जानते हैं कि माता-पिता के झगड़े से बच्चों पर क्या असर पड़ता है और इससे बचने के लिए पैरेंट्स क्या कर सकते हैं :
1.डिप्रेशन में आना
माता-पिता के अक्सर झगड़ा करने के कारण बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं। जो बच्चे शुरू से ही झगड़ालू पैरेंट्स के बीच पल-बढ़े होते हैं, उनके साथ ज्यादातर यह स्थिति बनती है। लड़ाई झगड़े की वजह से उन्हें खुशनुमा माहौल नहीं मिलता और उनकी खुशियां पूरी तरह से छिन जाती हैं। बच्चों को प्यार की जरूरत होती है, लेकिन जब उनके अपने माता-पिता से हमेशा लड़ाई झगड़ा ही मिलता है, तो कुछ समय बाद वह अवसाद यानी डिप्रेशन का शिकार हो ही जाते हैं।
2.इज्जत न करना
जो बच्चे शुरू से ही माता-पिता के बीच झगड़ा देखते आए हों, कुछ समय बाद वे उनकी इज्जत नहीं करते। उनका मन अपने माता-पिता के प्रति खट्टा हो जाता है। जिस उम्र पर आकर उन्हें पैरेंट्स का प्यार चाहिए होता है, बदले में दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा मिलता है, तो बच्चा उनका सम्मान करना बंद कर देता है। ऐसे बच्चे बहुत जल्दी पैरेंट्स से दूर जाने की सोचने लगते हैं।
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3.डर में जीते हैं
बच्चों के सामने लड़ते समय और गाली-गलौच करते समय अक्सर पैरेंट्स भूल जाते हैं कि इन सबका असर उनके बच्चे पर क्या होगा। लेकिन ये सच है, कि जो पैरेंट्स बच्चों के सामने चिल्ला -चिल्ला कर बात करते हैं, एक दूसरे के लिए अपशब्द कहते हैं, ऐसे में उनके बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। वह डर में जीने लगते हैं।
4.मानसिक परेशानी
माता-पिता की गलतियों की सजा अक्सर बच्चों को ही भुगतनी पड़ती है। बचपन से ही तंग माहौल में रहने से बच्चा मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। उसका दिमाग कमजोर हो जाता है। उनका बचपन चिंता और रोते- धोते ही निकलता है। पैरेंट्स के बीच लड़ाई झगड़े ज्यादा हों, तो ऐसे बच्चे पढ़ाई में बहुत कमजोर भी हो जाते हैं।
5.संस्कारों में कमी आना
झगड़े वाले माहौल में रहने से बच्चों के संस्कारों में कमी आने लगती है। ऐसे बच्चे बहुत जल्दी गलत शब्द, गाली गलौच सीख जाते हैं। जब वे देखते हैं, कि उनके माता-पिता एक दूसरे का सम्मान नहीं करते, तो वे भी औरों से इज्जत से पेश नहीं आते। काफी हद तक ऐसे बच्चों का ये रवैया उनके घर के तनावपूर्ण माहौल को दर्शाता है।
6.बॉन्डिंग अच्छी नहीं होती
जिस घर में आए दिन पैरेंट्स के बीच झगड़ा होता है, उसमें पैरेंट्स की उनके बच्चों के साथ बॉन्डिंग बेहतर नहीं हो पाती। ऐसे बच्चे जब घर से बाहर अपने दोस्तों के साथ उनके पैरेंट्स की बॉन्डिंग देखते हैं, तो उन्हें ये बात बहुत परेशान करती है। न केवल अपने माता-पिता को, बल्कि खुद को भी वे हीनभावना की नजरों से देखने लगते हैं।
7.बचपन की मस्ती खो जाना
जिन बच्चों के घर में हमेशा कलह मची रहती है, उन बच्चों का बचपन कहीं खो जाता है। बचपन में होने वाली मस्ती से ये बच्चे दूर रहकर अपने आसपास बस झगड़े ही देखते हैं। कई बार उन्हें वो चीजें भी नहीं मिल पातीं, जो दूसरे बच्चों को अपने पैरेंट्स से मिल जाती हैं।
8.खुद को दोष देना
जब बात-बात पर झगड़े होने लगते हैं, तो बच्चे खुद को दोष देना शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि, सबकुछ उनके कारण ही हो रहा है। बच्चे का खुद को दोष देना इतना घातक हो जाता है, कि इसके कारण कई बार वे घर छोड़कर भी चले जाते हैं। ऐसे में यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है, कि बच्चे के मन में ऐसी-वैसी कोई भावना ना आने दें।
9.किसी पर भरोसा ना करना
झगड़ालू पैरेंट्स के साथ रहकर बच्चों का भरोसा पूरी तरह टूट जाता है। भविष्य में वे कभी भी किसी भी ट्रस्ट नहीं कर पाते। भले ही कोई उनके लिए कितना भी कुछ क्यों न कर दे, उन्हें उन लोगों में फरेब और धोखा ही नजर आता है।
10.गुस्सैल बन जाना
हमेशा झगड़ने वाले अभिभावकों की परवरिश में बच्चा अक्सर गुस्सैल किस्म का बन जाता है। उसे बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। कोई कितने भी प्यार से क्यों न बात करे, वह ठीक से जवाब नहीं देता। उसके इस रवैए के कारण वह अपने जीवन में कई रिश्ते, दोस्तों और मौकों को खो बैठता है।
लोग सच ही कहते हैं कि, घर का माहौल जैसा हो, बच्चा भी वैसा ही बनता है। अक्सर परिवारों में अभिभावकों के बीच होने वाली कलह, ब्रेकडाउन बच्चों पर गलत असर डालती है । माता-पिता को हर समय लड़ते-झगड़ते देखना, दोनों के बीच बात-बात पर बहस होना, अलगाव होना, बच्चों के झगड़ालू हाने का कारण बनते हैं।
इस आर्टिकल में हमने जाना कि माता-पिता के झगड़े से बच्चों पर क्या असर पड़ता है।
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