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पांच फेमिनिज्म के बारे में मिथ्स

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Swati Bundela
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फेमिनिज्म मतलब नारीवाद होता है। इसके बारे में अलग अलग लोग अलग अलग सोच रखते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जिसको फेमिनिज्म का असली मतलब पता हो। लोगों को यह समझाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि फेमिनिज्म में महिलाओं के बारे में बात जरूर होती है पर फेमिनिज्म सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं होता बल्कि मेंस के लिए भी होता है। इसमें में लड़का और लड़की की बराबरी की बात की जाती है। इसका उद्देश्य लड़कों को पीछे करना नहीं होता। यह हैं पांच फेमिनिज्म के बारे में मिथ्स - 

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1. फेमिनिज्म लड़को से नफरत करते हैं

फेमिनिज्म आंदोलन इसलिए किया जाता है ताकि लड़का लड़की बराबरी पर आ सकें ना कि फिर से कोई कम ज़्यादा हो जाए। फेमिनिज्म का मकसद सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को राजनैतिक, आर्थिक, व्यक्तिगत और सामाजिक छेत्रों में समानता दिलवाना है।

2. लड़के भी फेमिनिस्ट हो सकते हैं - फेमिनिज्म के मिथ्स

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कई लोगों ने अपने मन में ऐसी धारणा बना ली है कि फेमिनिज्म में सिर्फ महिलाएं ही महिलाओं के लिए लड़ती हैं। ऐसा एकदम गलत है अगर कोई लड़का भी महिलाओं के अधिकार, सम्मान और बराबरी के बारे में बात करता है तो वो फेमिनिस्ट ही है। अगर कोई लड़का अपने से छोटे बच्चों को महिलाओं का आदर करना सिखाता है तो वो फेमिनिस्ट ही माना जायेगा।

3. फेमिनिज्म भारत का नहीं - फेमिनिज्म के मिथ्स

कई लोगों को ऐसा लगता है कि फेमिनिज्म हमारे देश का नहीं और वेस्ट से आया है ऐसा नहीं है भारत में शुरुवाती दौर से महिलाओं के हक़ के लिए लड़ाई की गई है। इतिहास उठाकर देखा जा सकता है कि कैसे महिलाएं हमेशा उन मुद्दों पर बोलती आई हैं जिन से उन्हें फर्क पढता है।

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4. फेमिनिज्म से कोई प्रगति नहीं हुई है

फेमिनिज्म से बहुत प्रगति हुई है और लोगों के विचार पहले के मुकाबले सुधरे हैं। पहले बीवी को पति की अर्थी के साथ जला दिया जाता था सती प्रथा के नाम पर और अब हम शादी के बाद रैप की बात करते हैं। यही तो प्रगति है।

5. फेमिनिज्म शादी के विरोध में है

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फेमिनिज्म शादी का विरोधी नहीं है बल्कि ऐसी कई महिलाएं हैं जो शादी शुदा होकर भी फेमिनिज्म के लिए खड़ी हैं और लड़ती हैं।







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