सीख जो लॉकडाउन ने मुझे दी और सिखाया मुझे खुदसे थोड़ा ज़्यादा प्यार करना। सीमाएं किसको पसंद है? हर व्यक्ति कुछ नया सीखने की चाह रखता है| पर जब सारे रास्ते बंद हो और काम करने के माध्यम भी तब क्या सब निराश होकर बैठ जाए? और कोसे हर उस वक्ति को देश को, जिनकी वजह से हम इस परिस्थिति में है। हमारे जीवन शैली को हर प्रकार से लॉकडाउन ने एक नया रूप दिया हैं,एक ऐसी शक्ल दे दी है, जिसे स्वीकारना मुश्किल ही नहीं बल्कि असमंजस भी है।
पांच सीख जो लॉकडाउन ने मुझे दी :
1.आत्मनिर्भर-
प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए इस अभियान का आम जनता को क्या लाभ हुआ.? ख़ैर इसका हिसाब खुद सरकार के पास नही है । और हो भी कैसे, युवाओं की बेरोजगारी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है । मगर इस बार मंत्रियों के झूठे वादों पर नही मेरा खुद पर विश्वास बढ़ गया है - खुदके लिए वक्त निकालना चित्र बनाना ये सब मुझे आज़ादी का एहसास देते है। हर दिन मैं बन रही हूं अपनी सहेली जो सिर्फ़ मुझे सुनती हो बिना किसी सवाल के बिना किसी जवाब के बेमतलब से यूंही।
2.दूरियां जरूरी है-
सीख जो लॉकडाउन ने मुझे दी, हर बार खुदको सबसे बांधे रखना भी हमारी मानसिक क्षमता को बढ़ने नही देता, और हम क़ैद हो जाते है बस तुम से उन लोगो तक के दायरे में । दूर रहें सुरक्षित रहे ।
3. अपनी आवाज़ को पहचाना-
सबके कहने पर, सारा दिन घर के इस कोने से लेकर उस कोने तक मैंने सारी जिंदगी बस सबके लिए जिया है।लॉकडाउन में मैंने सुनी अपने मन की आवाज़, गुनगुनाया वही सुर जिसपे मुझे थिरकना पसंद है । और बाटी सारी घर की जिमेदारियां, सबके साथ । जब सब साथ रहते है तो काम सिर्फ़ कोई एक क्यो करें?
4.रुकना-
मैने कहीं पढ़ा था, (One should know, when to step in and when to step back) जिसका अर्थ है, हमे पता होना चाहिए, कब आगे बढ़ना है और रुकना है। अपने प्रति किसी भी प्रकार की हिंसा को बढ़ने नहीं देना और अगर कोई हाथ उठाए तो उसी वक्त निडरता से रोकना है ।
5. कुछ खास लोगो के साथ खुशियां दुगनी हो जाती है -
खुशियों के मौके पर, दुनिया जहां की भीड़ न इक्कठी करके हमने कुछ बहुत खास लोगो के साथ मिलकर हर सुख-दुख बांटें है और ये सुकून भरा है और मुमकिन भी ।