ऑनर किलिंग जिसे सम्मान हत्या भी कहा जाता है। इसे भारत में अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके तहत जब एक परिवार के किसी सदस्य की अपने परिवार अथवा समाज के किसी व्यक्ति द्वारा सम्मान को नष्ट करने या परंपरा को तोड़ने के अपराध में हत्या कर दी जाए तो इसे ऑनर किलिंग कहा जाता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ‘सम्मान हत्या’ के स्वरूप में थोड़ा परिवर्तन देखा गया। अब केवल महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी इस प्रकार के जघन्य अपराध के शिकार हो रहे हैं। भारत में विशेषकर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान आदि क्षेत्रें में इस प्रकार की हत्या देखी जाती है।
ऑनर किलिंग के लिए भी बदनाम हरियाणा
हरियाणा राज्य जहां अपने रहन-सहन तथा खान-पान के लिए प्रसिद्ध है वहीं ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं के लिए भी बदनाम है। हरियाणा में कोई माह ही ऐसा जाता है जब हरियाणा में ऑनर किलिंग की घटना न होती हो। हरियाणा में इन घटनाओं की शुरूआत करनाल के मनोज-बबली प्रकरण से हुई थी।दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा में आए दिन होने वाली ऑनर किलिंग की घटनाओं में दोषियों को सजा देने के लिए पुलिस के पास कोई अलग से प्रावधान नहीं है, और न ही पुलिस के पास इसका कोई रिकार्ड है। जिसके चलते राज्य में ऑनर किलिंग की घटनाएं लगातार हो रही है।
पितृतंत्रत्मक समाज
ऑनर किलिंग का कारण पितृतंत्रत्मक समाज की सोच और दृष्टिकोण है। प्रायः देखा जाता है कि महिला द्वारा वैवाहिक संबंध को अस्वीकार करने पर वह परिवार के सम्मान का विषय बन जाता है क्योंकि उसे पिता अथवा अपने परिजनों की बात काटने का अधिकार नहीं दिया गया है। परम्परागत रूप से पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को पुरुषों से निम्न स्थिति प्रदान की गई है। ऐसे में लिंग आधारित भेदभाव के कारण भ्रूण हत्या जैसे अपराध बढ़ रहे हैं। यदि महिला किसी कन्या को जन्म देती है तो उसे अपशकुन मान लिया जाता है।
समाज को जागरूक
मीडिया को समाज को जागरूक बनाने में अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी, साथ ही लोगों को अधिक-से-अधिक साक्षर बनाने पर ज़ोर देना होगा। दरअसल, देश में ऑनर किलिंग पर अंकुश लगाने के मामले में अदालतों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, जहाँ अपराधियों को मौत की सज़ा के साथ-साथ खाप पंचायतों को अवैध घोषित किया गया है। भारतीय संविधान में किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता एवं समान संरक्षण अनुच्छेद 14 के तहत दिया गया है। अनुच्छेद 15 के तहत भारतीय संविधान में राज्य केवल धर्म, जाति, लिंग अथवा जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी व्यक्ति को जीवन जीने की स्वतन्त्रता अथवा व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।
हालाँकि इस तरह के अपराधों को पूरी तरह से रोकने के लिये सभी हितधारकों द्वारा सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। हमें ध्यान रखना होगा कि “सम्मान के लिए किसी की जान लेने में कोई सम्मान नहीं है”।