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क्यों है सिंधु गंगाधरन महिलाओं के लिए एक इंस्पिरेशन? जानिए ये 11 कारण

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Swati Bundela
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सिंधु गंगाधरन जर्मन टेक जायंट सिस्टम्स, ऍप्लिकेशन्स एंड प्रोडक्ट्स इन डाटा प्रोसेसिंग (एसएपी) को लीड करने वाली पहली महिला हैं। इस पदभार को संभालने से पहले उन्होंने एसएपी में मैनेजिंग डायरेक्टर और सीनियर वाईस प्रेजिडेंट के पोस्ट पर भी काम किया है। अपने 20 साल के लम्बे करियर में सिंधु गंगाधरन ने सोसाइटी की हर नॉर्म को खारिज करते हुए अपने सपनों के तरफ आगे कदम बढ़ाया है और यही कारण हैं कि वो आज हर करियर ओरिएंटेड वुमन को इंस्पायर करती हैं। एक लीडर के तौर पर उन्होंने ये भी प्रूव किया है कि महिलाओं को वर्कप्लेस में अपने बेस्ट देना चाहिए और किसी से घबराना भी नहीं चाहिए। इस पोस्ट के थ्रू उन्होंने कई तरह के जॉब अवसरों का भी निर्माण किया है।

जानिए सिंधु गंगाधरन के एक इंस्पिरेशन होने के पीछे ये 11 कारण:

1. 1999 में बैंगलोर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद सिंधु गंगाधरन ने एसएपी ज्वाइन किया था एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में। इसके बाद से ही उनके काम में समृद्धि बढ़ती गई। 

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2. एसएपी में काम करने के कारण उन्हें जर्मनी शिफ्ट करने की ज़रूरत पड़ी तो वो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलीं और अपने परिवार के साथ वहां 18 साल बिताए। 

3. जर्मनी में अपने आवास के लिए उन्होंने बाकायदा जर्मन भाषा सीखीं ताकि वो हर किसी से अच्चे से कम्युनिकेट कर पाएं। उन्होंने ये एक्सपेक्टेशन नहीं रखा कि लोग उनसे इंग्लिश में बात करें। 

4. सिर्फ महिलाओं से पूछे जाने वाले "वर्क-लाइफ बैलेंस" को पूरी तरह से ख़ारिज करते हुए उन्होंने एक बार इसे बीती सदी की बात बताई थी और ये भी कहा था कि एक महिला के जीवन में काम भी उतना ही मैटर करता है जितना बाकी कुछ और। 

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5. एसएपी की एमडी होने के साथ-साथ गंगाधरन टाइटन कंपनी में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की पोस्ट होल्ड करती हैं जो हर महिला को इस बात की प्रेरणा देता है कि कभी भी जीवन में कंटेंट फील नहीं करना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।

6. वर्कफोर्स में महिलाओं की कमी की बात को गंगाधरन हमेशा एकनॉलेज करती हैं और यही कारण है कि वो हमेशा नए जॉब ओपोर्चुनिटीज़ क्रिएट के लिए प्रयासरत रहती हैं। 

7. एसएपी के साथ मिलकर यंग वीमेन की वर्कफोर्स में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उन्होंने "गर्ल हु कोड", "गर्ल स्मार्टस" और "गर्ल पावर टेक" जैसे इनिशिएटिव्स क्रिएट किये हैं।

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8. गंगाधरन के पेरेंट्स उन्हें मेडिकल में करियर बनाते हुए देखना चाहते थें। लेकिन कंप्यूटर साइंस में रूचि होने के कारण उन्होंने अपनी बात उनके सामने रखी और इस फील्ड में ही आगे बढ़ीं। उनके इस काम से हर महिला को ये सीख मिलती है कि जीवन में हमेशा वही करना चाहिए जो आप खुद करना चाहते हैं, ना कि वो जो आपसे हर कोई एक्सपेक्ट करता है। 

9. एसएपी ने यूनिसेफ के साथ पार्टनरशिप में इंडिया के यंग पॉप्युलेशन के एजुकेशन को सपोर्ट करने का इनिशिएटिव भी उठाया है और इसके ज़रिये गंगाधरन ने युथ को डिजिटल इन्क्लुशन के तरफ शिफ्ट करने का काम किया है। 

10. यूनिसेफ के साथ काम करते हुए उन्होंने इंडिया के युथ के लिए डिजिटलाइसेशन के तरफ इंक्लूड करने की कोशिश की है। उनके इस इनिशिएटिव का दावा है कि अब तक वो करीब 10 लाख भारतियों को ट्रैनिंग और इंटर्नशिप के ज़रिये सपोर्ट कर चुके हैं। 

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11. एक वुमन लीडर के नाते उन्होंने ये भी बताया है कि शुरुवात में कैसे उन्हें वर्कप्लेस में अपने मेल कॉउंटरपार्ट्स से "अप्रिहेंशन्स" जाते थें लेकिन समय के साथ उन्होंने अपने काम पर फोकस किया है और आज वो इस मकाम तक पहुंची हैं।



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