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Importance Of Chhath Puja 2021: छठ पूजा का क्या महत्व है?

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Swati Bundela
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Importance Of Chhath Puja 2021: छठ पूजा हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला चार दिन का धार्मिक त्योहार है। यह त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में लोगों के द्वारा मनाया जाता है। छठ पूजा के दौरान, भक्त सूर्य या भगवान सूर्य और षष्ठी देवी (छठी मैया) की पूजा करते हैं। भक्तों का मानना है, कि इनकी पूजा करने से उनके परिवार में समृद्धि आती है।

छठ पूजा 2021: तिथि और समय

छठ पूजा 2021 इस साल 10 नवंबर से 13 नवंबर तक मनाई जाएगी। परिवार की महिलाएं परिवार की खुशी और बेटों की भलाई के लिए पूजा के हिस्से के रूप में व्रत रखती हैं। दिवाली के एक हफ्ते बाद मनाई जाने वाली छठ पूजा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है, खासकर बिहार क्षेत्र में। भक्त इस दिन सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं क्योंकि उनका मानना है कि सूर्य भी उपचार का एक स्रोत है और कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।

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Importance Of Chhath Puja 2021: छठ पूजा का महत्व और पूजा विधि

चार दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में हर दिन अलग-अलग रस्में होती हैं।



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  • दिन 1: इस साल छठ पूजा का पर्व 10 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। इस दिन, सात्विक भोजन तैयार किया जाता है, और भक्त देवता को कद्दू भात भी चढ़ाते हैं। भक्त नदियों में पवित्र डुबकी भी लगाते हैं। पूजा करने वाली महिलाएं इस दिन एक बार भोजन करती हैं।


  • दिन 2: यह दिन खरना के लिए है, जो इस साल 11 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना पानी पिए ही व्रत रखती हैं।


  •  दिन 3: इस साल 12 नवंबर को पड़ने वाले इस दिन, भक्त आरती करेंगे और छठी मैया की पूजा करेंगे। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद भी तैयार किया जाता है। सभी प्रसाद और फलों को एक टोकरी में रखा जाता है, और नदियों या तालाबों के पास छठ घाट पर ले जाया जाता है। भक्त शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य भी देते हैं। आमतौर पर, भक्त भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी में खड़े होते हैं।


  •  दिन 4: चार दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन इस साल 13 नवंबर को होगा। चौथे दिन, लोग छठ घाटों पर उगते सूरज की पूजा करते हैं। यह दिन उषा अर्घ्य का प्रतीक है, जहां भक्त सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं।






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